बच्चों को भी परेशान कर देता है तलाक
२ जून २०११ऐसे बच्चे अपने सहपाठियों से अकसर गणित और सामाजिक विज्ञान में पीछे रहते हैं. एक अध्ययन के मुताबिक उन्हें चिंता, तनाव और कम आत्मसम्मान का सामना करना पड़ सकता है. विस्कोनसिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ह्यून सिक किम कहते हैं कि स्टडी से पता चलता है कि तलाक की कार्यवाही शुरू होने पर बच्चों पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है.
किम के मुताबिक, "मैं मूल रूप से कहना चाहता हूं कि तलाकशुदा माता पिता के बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव तब से पड़ने लगती है जब वह तलाक की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. लेकिन मेरी स्टडी में पता चलता है कि ऐसा नहीं है."
अध्ययन अमेरिका के समाजशास्त्रीय समीक्षा में छपा है. इस अध्ययन का आधार 3585 स्कूली बच्चों को बनाया गया है. तलाक के पहले और तलाक के बाद इन बच्चों के व्यवहार में बदलाव की जानकारी छापी गई है. ह्यून सिक किम ने तलाक की प्रक्रिया में शामिल माता पिता के बच्चों की तुलना स्थिर परिवार के बच्चों से की. किम ने पाया कि विकास संबंधी समस्या तलाक के बाद भी जारी रहते हैं.
किम के मुताबिक, "अध्ययन से पता चलता है कि तलाकशुदा माता पिता के बच्चों पर तलाक के बाद नकारात्मक प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ते. हांलाकि ऐसे संकेत नहीं मिलते कि तलाकशुदा माता पिता के बच्चे अपने समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिला पाते हो." उनके मुताबिक गणित के अध्ययन पर तलाक का असर विशेष रूप से पड़ता है.
वह कहते हैं कि बच्चों के विकास पर कई कारणों का असर पड़ता है, जैसे बच्चों का उदास माता पिता के साथ रहना, अस्थिर रहने की व्यवस्था, माता पिता के लिए समय का बंटवारा और आर्थिक कठिनाई. तलाकशुदा जोड़ों का झुकाव बच्चों से बहस की ओर बढ़ जाता है जिससे बच्चों के विकास पर असर पड़ता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ आमिर अंसारी
संपादनः ए जमाल