बच्चों में ज्ञान का भंडार भरती हैं बाल पत्रिकाएं
११ अप्रैल २०११आज के इस वैज्ञानिक युग में हर घर में टीवी, इंटरनेट, वीडियो गेम की भारी भरमार है. जिससे बच्चे हमेशा चिपके नज़र आते हैं. बच्चों को इनसे बाल साहित्य और बाल पत्रिकाओं के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिल पातीहै. इससे बच्चों का ज्ञान भी नहीं बढ़ पाता और वे टीवी तक ही सिमटकर रह जाते हैं. बद्री प्रसाद वर्मा कहते हैं कि हम अगर अपने बच्चों को ज्ञान विज्ञान, बाल साहित्य की शिक्षा देना चाहते हैं तो उन्हें बाल पत्रिकाएं खरीद कर पढ़ने को जरूर दें.
आधुनिक बाल पत्रिकाओं में बाल कहानियों, कविताओं के साथ साथ ज्ञान-विज्ञान, विज्ञान की खोजों, महापुरूषों की जीवनी, नोबेल पुरस्कारों के बारे में एतिहासिक धरोहरों, दुनिया के पर्यटन स्थलों, अजूबों के बारे में अच्छी खासी जानकारीयां मिल रही हैं. साथ ही सामान्य ज्ञान को बढावा देने के लिए इनमें ज्ञान पहेली, खेल पहेलियां आदि भी होती हैं. जिससे बच्चों को ज्ञान परीक्षा देने में सहायता मिलेगी. इतना ही नहीं यह बाल पत्रिकाएं बच्चों में बाल लेखन को बढावा भी देती हैं. ऐसी पत्रिकाएं बच्चों को बहुत कुछ पढ़ने और जानने को देती हैं.
बुक स्टालों पर सुमन सौरभ, चम्पक, लोटपोट, बाल भारती, बाल हांस, बाल भास्कर, नन्हें सम्राट, नंदन, हंसती दुनिया, स्नेह, बाल वाटिका, बाल वाणी, देवपुत्र, बच्चों का देश, बाल प्रहरी आदि बाल पत्रिकाए आसानी से मिल जाती हैं. इन बाल पत्रिकाओं को पढ़ने से बाल साहित्कारों के बारे में भी जानकारी मिलती हैं.
ये अन्य मनोरंजन के साधनों से सस्ती और सुविधाजनक होती हैं. इनकी कीमत 5 रूपये से लेकर 15 रूपये तक रहती हैं. जिन्हें हर बच्चा अपनी पॉकेट से खरीद कर पढ़ सकता है. हमें भी अपने बच्चों में बाल पत्रिकाएं पढ़ने की आदत डालनी चाहिए ताकि बच्चों का मानसिक विकास तेजी से हो सके क्योंकि बच्चों में ज्ञान का भंडार भरती है बाल पत्रिकाएं!
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कविता
भंवरे
फूलों पर मंडराते भंवरे, फूलों का रस चुराते भंवरे
इस फूल से उस फूल से, अपना प्यार जताते भंवरे.
कर के मीठी मीठी बातें, फूलों को भरभाते भंवरे
रात में बिस्तर इन्हें बनाकर, फूलों पर सो जाते भंवरे
सुबह उठ कर सबसे पहले, फूलों को जगाते भंवरे
हर फूलों को जा कर, अपना गीत सुनते भंवरे
दूर-दूर तक फूलों की, खुशबू को फैलाते भंवरे
रंग रूप के काले दिखते, मन के उजले होते भंवरे.
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संकलनः विनोद चढ्डा
संपादनः आभा एम