बढ़ रहा है पाक में कट्टरपंथियों का प्रभाव
१५ जनवरी २०११पिछले हफ्ते पाकिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण प्रांत पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की खुलेआम इस्लामाबाद में हत्या कर दी गई. इस अपराध के पीछे वजह यह मानी जा रही है कि तासीर ने ईशनिंदा कानून की आलोचना की थी और उन्होंने ईसाई महिला आशिया बीबी का समर्थन किया था जिसको ईशनिंदा की वजह से मौत की सजा सुनाई गई है. ज्यूरिख स्थित नोए ज्यूरिखर त्साइटुंग का कहना है.
कट्टरपंथियों का पिछले सालों में पाकिस्तान में प्रभाव बढ़ता ही गया. हालांकि यदि उनकी संख्या को देखा जाए तब वह बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन वे राजनीतिक एजेंडे को तय करते हैं. इसका उदाहरण विवादास्पद ईशनिंदा कानून माना जा सकता है.
साथ ही महिलाओं पर हो रहे तेजाब से हमलों पर कड़ी सजाएं या महिलाओं की रक्षा करने वाले दूसरे प्रयासों का इस्लामवादियों द्वारा विरोध किया जा रहा है. देश में बहुमत को दलीलें देकर नहीं जीता जा रहा है बल्कि ऐसा बल प्रयोग से हो रहा है.
देश में बढ़ती हुई असहिष्णुता मीडिया में दर्शाती है कि जिन पर इस्लामवादियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है या उनको धमकियों के साथ चुप करवाया जा रहा है. पाकिस्तान में खुलेआम इस बात पर बहस मुमकिन नहीं है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के क्या अधिकार हैं.
परमाणु शक्ति संपन्न पाकिस्तान कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई हारता नजर आ रहा है. यह मानना है बर्लिन के दैनिक टागसत्साइटुंग का.
सलमान तासीर की हत्या के साथ आशिया बीबी और उनके परिवार के सबसे शक्तिशाली समर्थक की भी मौत हो गई. इस सब को देखते हुए अब कौन न्यायाधीश आशिया को रिहा करेगा? खासकर यह जानते हुए कि कट्टरपंथी कैसे बदला लेंगे.
आशिया बीबी का मामला राजनीति का खिलौना बन गया है और पूरे देश के भविष्य के लिए निर्णायक है. इस्लामी कट्टरपंथी आशिया बीबी के मामले के साथ उदारवादियों और अल्पसंख्यकों को सबक सिखाना चाहते हैं और उनके हाथों में आशिया बंधक बनी हुई है.
जर्मनी में फाईनेंशल टाईम्स की शाखा का कहना है कि पश्चिमी दुनिया को पाकिस्तानके प्रति भोला नहीं होना चाहिए न उसे किसी तरह की थकान दिखानी चाहिए. दैनिक का मानना है.
पश्चिमी देशों की सुरक्षा के लिए हिंसक और पश्चिम के खिलाफ काम करने वाली इस्लामाबाद और काबुल में बैठी सरकारें बडा खतरा हैं. पाकिस्तान में राजनीतिक संकट यही दिखाता है कि कट्टर इस्लामवादियों को शांत करने के प्रयास समस्या का हल नहीं हो सकते हैं, बल्कि ऐसे में वे और भी शक्तिशाली होते जा रहे हैं. पश्चिमी दुनिया को अब समझने की जरूरत है कि सिर्फ लोकतांत्रिक देश ही उसके साझेदार हो सकते हैं.
पोप बेनेडिक्ट 16वें ने सलमान तासीर की हत्या के बाद और मिस्र में हुए कोप्टिक ईसाईयों पर हमले के बाद अपील की है कि ईसाइयों की दुनिया भर में बेहतर रक्षा की जाए. जर्मनी की सबसे प्रसिद्ध साप्ताहिक पत्रिका डेयर श्पीगल का कहना है.
सिर्फ अपील करना पर्याप्त नही है. स्थिति कुछ महीने पहले के मुकाबले गंभीर होती जा रही है. मिस्र और पाकिस्तान में हुए हमले एक उदाहरण हैं और दिखाते हैं कि इस्लामी दुनिया में सरकारें कितनी कमजोर हैं. ऐसे देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा तो संविधानों में लिखी गई है, लेकिन सरकारों के पास ईसाईयों या दूसरे धर्मों के लोगों की रक्षा करने के लिए ताकत ही नहीं है.
और अब एक नजर भारत पर. यूरोपीय विमान निर्माता कंपनी एयरबस ने नागरिक विमानन के इतिहास की सबसे बड़ी डील हासिल की है. भारत की विमानन कंपनी इंडिगो एयरबस 180 ए-320 विमान खरीदना चाहती है. डील 15 अरब डॉलर की बताई जा रही है. म्यूनिख स्थित जर्मनी के सबसे प्रसिद्ध दैनिकों में से एक सुएडदॉचे त्साइटुंग का कहना है.
यह डील विशेषज्ञों को भी हैरान कर रही है. सस्ती फ्लाईट की पेशकश करने वाली विमानन कंपनी इंडिगो 2006 से ही बाजार में है और अब तक कंपनी के सिर्फ 34 विमान थे. पांच साल के अंदर ही इंडिगो कंपनी एक बहुत ही जल्दी बढ़ने वाले बाजार में तीसरी सबसे बडी विमानन कंपनी बनी है.
पिछले दस सालों में तेजी से बढ़ते गए विमान बाजार में अब भी बहुत अवसर छिपे हुए हैं. आर्थिक वृद्धि की वजह से भारत का मध्य वर्ग सस्ती फ्लाईटों में बहुत दिलचस्पी रखता है.
रिपोर्ट: अना लेहमान/प्रिया एसलबोर्न
संपादन: एस गौड़