बदकिस्मत मलेशियाई एयरलाइंस
१८ जुलाई २०१४इन हादसों ने मलेशियाई एयरलाइंस पर सवाल खड़े कर दिए लेकिन क्या इसमें उसका भी कसूर है. साल का दूसरा शुक्रवार था, जब मलेशियाई लोगों की नींद ऐसी खुली कि उनके होश उड़ गए. अखबारों के पहले पन्ने पर काले हादसे की दास्तान थी कि किस तरह उनका एक और विमान हादसे का शिकार हो गया और उसे यूक्रेन में मार गिराया गया.
दुर्घटनाग्रस्त एमएच 370 पर सफर कर रहे एक मुसाफिर के पिता जी सुब्रह्मण्यम ने कहा, "हमारे देश में शांति क्यों नहीं है. हमारे साथ हादसे के बाद हादसे हो रहे हैं." मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या एमएच 17 क्वालालंपुर से एम्सटर्डम जा रही थी, जब पूर्वी यूक्रेन में इसे मार गिराया गया. इसमें 43 मलेशियाई नागरिक सवार थे.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इसे जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल ने गिराया है. इस इलाके में जबरदस्त यूक्रेन विरोधी और रूस समर्थित लोगों का जमावड़ा है. अभी पक्के तौर पर पता नहीं चला है कि क्यों इस पर हमला किया गया लेकिन इसकी वजह से एमएच 370 का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया.
लगातार दो हादसों के बाद मलेशिया के पर्यटन क्षेत्र पर असर पड़ने का खतरा भी पैदा हो गया है. ताजा आंकड़ों से पता लगता है कि चीन से आने वाले पर्यटकों की संख्या लगभग 20 फीसदी कम हो गई है. मार्च में हादसे का शिकार हुए विमान में दो तिहाई यात्री चीन के थे, जबकि ताजा घटना में ज्यादातर मुसाफिर नीदरलैंड्स के.
मलेशिया की प्रमुख सर्वेक्षण कंपनी के इब्राहीम सूफियान का कहना है कि दोहरे मामलों ने मलेशिया की छवि को बुरी तरह बिगाड़ा है, "हमेशा से लगता था कि मलेशिया को त्रासदी और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिली हुई है. तूफान, भूकंप और युद्ध - ये हमारे यहां नहीं बल्कि पड़ोसी देशों इंडोनेशिया, बर्मा और फिलिपींस में थे. लेकिन सुरक्षा का वह भाव अब जाता रहा."
बैडमिंटन चैंपियन ली चोंग वी ने कहा, "मैंने अभी अभी यह मनहूस खबर पढ़ी. मुझे नहीं लगता कि हम इतनी जल्दी दोबारा ऐसी खबर के लिए तैयार हैं." मार्च में हुए पिछले हवाई हादसे के बाद मलेशिया की सरकार पर जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वे हवाई मामलों को ठीक ढंग से निपटाने में सक्षम नहीं हैं.
क्वालालंपुर से चीन की राजधानी बीजिंग जा रहा मलेशिया एयरलाइंस का एक विमान आठ मार्च को अचानक हवा में लापता हो गया और उसके बाद से इसका कोई पता नहीं लग पाया है. ऑस्ट्रेलिया के पास समुद्र में अच्छी खासी तलाशी के बाद भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. उस विमान में 239 लोग सवार थे. यात्रियों के परिवारों का कहना है कि सरकार इस मामले को ठीक ढंग से संभाल नहीं पाई.
मुस्लिम बहुलता वाले मलेशिया के लिए एमएच 17 हादसा खास तौर पर दर्द देने वाला है क्योंकि यह रमजान के पवित्र महीने में हुआ है. हालांकि सवाल यह भी उठ रहे हैं कि यात्री विमान एक युद्ध वाले क्षेत्र से क्यों गुजर रहा था. हालांकि प्रधानमंत्री रजीब रज्जाक सहित अधिकारी इसका बचाव कर रहे हैं.
सूफियान का कहना है कि आम तौर पर जातीय, राजनीतिक और धार्मिक मामलों में बंटा मलेशिया दुख के इस घड़ी में साथ खड़ा है. हालांकि इस बात को मानने वालों की कमी नहीं कि ताजा हादसे के बाद मलेशिया की राष्ट्रीय छवि पर तगड़ा झटका लगेगा.
मार्च में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में सवार एक महिला के भारतीय पति केएस नरेंद्रन का कहना है, "राष्ट्रीय एयरलाइंस के प्रबंधन को लेकर उनकी गर्व वाली छवि एमएच 370 के मामले से ही धूमिल हुई है. लेकिन इस मामले के बाद तो उनका जीना दूभर हो जाएगा. उनके लिए खुद को बेदाग साबित करना और सफाई देना मुश्किल हो जाएगा."
एजेए/एमजी (एएफपी)