बर्बादी के कारण भूखे लोग
१६ अक्टूबर २०१३संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी के मुताबिक खाने की बर्बादी के कारण दुनिया में 84 करोड़ 20 लाख लोग भूखे रह जाएंगे. विश्व स्तर पर भोजन के उत्पादन का करीब एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है. रोम में स्थित संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संस्था, एफएओ के मुताबिक सालाना करीब एक अरब 30 करोड़ टन अनाज बर्बाद होता है. एफएओ के विशेषज्ञ रॉबर्ट वान उटरजिक के मुताबिक, ''हम उसके एक चौथाई से 84 करोड़ 20 लाख लोगों को खाना खिला सकते हैं.'' अगर बर्बाद होने वाले खाने का आधा भी हम बचा सके तो खाद्य उत्पादन में केवल 32 फीसदी इजाफा करके ही हम 2050 तक दुनिया की पूरी आबादी के लिए खाना मुहैया करा सकेंगे. मौजूदा हालत में ऐसा करने के लिए हमें खाद्य उत्पादन में 60 फीसदी तक इजाफा करना होगा.
पैदावार पर जोर
बर्बाद होने वाले भोजन की कीमत के बारे में बनी एक रिपोर्ट की संयोजक मथिलडे ईवेंस के मुताबिक, ''बर्बाद होने वाले खाने को उपजाने वाली जमीन इतनी बड़ी है जितनी कि कनाडा और भारत को मिला कर और वो कभी नहीं खाई जाएगी." एफएओ का कहना है कि किस तरह का भोजन खाया जा रहा है ये भी महत्वपूर्ण है. साथ ही चेतावनी दी है कि कुपोषण और खराब संतुलित आहार समाज पर बोझ बढ़ाता है. इसके अलावा स्वास्थ्य पर देखभाल का खर्च भी बढ़ता है.
एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक, ''दुनिया में पांच साल से कम उम्र के चार में एक बच्चा बौना है. इसका मतलब ये है कि 16 करोड़ 50 लाख बच्चे इतने कुपोषित है कि वो कभी भी पूर्ण शारीरिक और ज्ञान संबंधी पूरी क्षमता नहीं हासिल कर पाएंगे. दुनिया में दो अरब लोगों में विटामिन और खनिज तत्वों की कमी है. जबकि एक अरब 40 करोड़ लोग अधिक वजन वाले हैं.''
नहीं हो पा रहा विकास
पूरी तरह से विकास नहीं होने के कारण बच्चों में मोटापे की बीमारी का डर बना रहता है. साथ ही वयस्क होने के बाद भी कई बीमारियों की चपेट में आने का खतरा रहता है.
संस्था के मुताबिक जो ज्यादा वजन वाले हैं उनमें से एक तिहाई मोटापे के शिकार हैं और उनमें हृदय रोग, डायबिटीज या फिर दूसरे रोगों का खतरा है. दुनिया से कुपोषण खत्म करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इस काम में निवेश किया जाता है तो लाभ कहीं ज्यादा होगा. खाद्य और कृषि संस्था ने कई उदाहरण दिए हैं.
कई देशों में कुपोषण से लड़ाई में तेजी आई है लेकिन कई देश अब भी पिछड़ रहे हैं. खाद्य और कृषि संस्था ने कुछ उदाहरण भी दिए है जिससे खाद्य प्रणाली में सुधार आ सके. विएतनाम के ग्रामीण इलाकों में मछली से भरे तालाब, मुर्गियों का उर्वरक के स्रोत के रूप में इस्तेमाल और बगीचों में उगाए अनाज के कारण बच्चों में कुपोषण कम हुआ है.. साथ ही साथ आय में बढ़ोतरी हुई है. इथियोपिया के एक प्रोजेक्ट में बकरियों के इस्तेमाल के कारण दूध की खपत बढ़ी है. साथ ही साथ महिलाओं को बेहतर पशुपालन की शिक्षा देने से आय में भी इजाफा हुआ है.
एए,एनआर (एएफपी)