बर्लुस्कोनी के फैसले से इटली में अनिश्चितता
९ नवम्बर २०११निचले सदन में हुए मतदान के दौरान बहुमत पाने में नाकाम रहे बर्लुस्कोनी ने कहा कि वह संसद में बजट सुधार पास होने के बाद अपना पद छोड़ देंगे. यूरोपीय साझीदारों ने इटली से इन सुधारों को लागू करने को कहा है ताकि देश को कर्ज संकट से बचाया जाए जिसके चलते यूरो जोन पर खतरा मंडरा रहा है.
इटली के टीवी चैनल को टेलीफोन इंटरव्यू में बर्लुस्कोनी ने कहा, "हमारे पास बहुमत नहीं रहा, जो हम सोचते थे कि हमारे पास है. इसलिए हमें यह बात माननी होगी और ध्यान देना होगा कि बाजारों में क्या हो रहा है. हमें बाजारों को दिखाना पड़ेगा कि हम गंभीर हैं."
बजट सुधारों को इस महीने संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने की उम्मीद है. इसके बाद विपक्ष की कोशिश रहेगी कि इटली पर 17 साल से चले आ रहे मनमौजी स्वभाव के अरबपति मीडिया मुगल बर्लुस्कोनी के दबदबे को खत्म किया जाए.
संकट में इटली
समझा जाता है कि बर्लुस्कोनी की सरकार इटली में गिरती वृद्धि दर को संभालने और विशाल कर्ज को कम करने में सक्षम नहीं है. इसीलिए इटली के लिए कर्ज लेने की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई जिसके कारण यूरो और शेयर बाजार, दोनों प्रभावित हो रहे हैं.
पद छोड़ने के बर्लुस्कोनी के फैसले के बाद बाजार और यूरो में बढ़त देखी गई है. बाजार को उम्मीद है कि नया नेता ज्यादा आक्रामक तरीके से काम करेगा ताकि यूरो जोन की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में संकट से निपटा जा सके. ग्रीस के बाद इटली का संकट साझा मुद्रा यूरो को और गंभीर संकट में डाल सकता है.
उधर एशियाई बाजारों में बुधवार को इटली के बॉन्ड्स पर मुनाफा घटकर 6.65 प्रतिशत हो गया है. बर्लुस्कोनी के फैसले से पहले यह मुनाफा 6.77 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा था. वैसे अब भी यह ऐसे स्तर पर है जिसे बनाए रखना मुश्किल है. यह लगभग वही स्तर है जिसके आसपास रहने पर पुर्तगाल, ग्रीस और आयरलैंड को राहत पैकेज की जरूरत महसूस हुई.
आगे क्या होगा
75 वर्षीय बर्लुस्कोनी और उनकी पार्टी का कहना है कि चुनाव ही अगला वास्तविक कदम हो सकते हैं, लेकिन विपक्ष राष्ट्रीय एकता वाली सरकार के गठन के लिए जोर डाल रहा है.
इटली के राष्ट्रपति गिओरगिओ नापोलितानो ने कहा है कि वह नए बजटीय कदमों को मंजूरी मिलने के बाद सभी राजनैतिक पार्टियों से सलाह मशविरा करेगा. जब कोई सरकार बहुमत खो देती है या इस्तीफा दे देती है तो नए नेता को नियुक्त करना राष्ट्रपति की जिम्मेदारी है ताकि संसद में बहुमत कायम करने की कोशिश हो सके. अगर इसकी संभावना नहीं है तो नए चुनाव कराए जाते हैं.
विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता पीयर लुइगी ने नए दौर की शुरुआत की अपील की है और उस प्रस्ताव को दोहराया है जिसमें सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों को लेकर एक अंतरिम सरकार बनाने की बात शामिल है. लेकिन बर्लुस्कोनी की मध्य-दक्षिणपंथी पीपल ऑफ फ्रीडम (पीडीएल) पार्टी का कहना है कि ऐसी सरकार का गठन मुश्किल होगा. किसी भी राष्ट्रीय एकता वाली सरकार के लिए बर्लुस्कोनी की पार्टी की हिमायत जरूरी है.
विभिन्न पार्टियों के बीच मतभेदों की तरफ इशारा करते हुए शिक्षा मंत्री मारियास्तेला गेलमिनी ने कहा, "पीडीएल के सभी नेता चुनावों को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि राष्ट्रीय एकता की सरकार के गठन के बारे में कल्पना करना भी मुश्किल है."
यूरोपीय संघ की निगरानी
बर्लुस्कोनी और उनके नजदीकी सहयोगी कहते हैं कि बाजार टेक्नोक्रेट्स वाली जिस सरकार की पैरवी कर रहा है, उसका बनना एक अलोकतांत्रिक तख्ता पलट होगा जो 2008 के चुनाव नतीजों की अनदेखी करेगा. इन्हीं चुनावों के बाद मध्य-दक्षिणपंथी धड़ा सत्ता में आया.
यूरोपीय संघ के आर्थिक और मौद्रिक मामलों के आयुक्त ओली रेहन ने मंगलवार को कहा कि संघ के निरीक्षक बुधवार को रोम पहुंच जाएंगे जिनका काम इस बात की निगरानी करना होगा कि जी20 देशों के शिखर सम्मेलन में पिछले हफ्ते जिन सुधारों पर सहमति बनी, उन्हें ठीक से लागू किया जा रहा है या नहीं.
वैसे इस बात की पक्की गारंटी नहीं दिखती कि बर्लुस्कोनी के चले जाने के बाद भी इटली में सुधारों को तेजी से लागू किया जाएगा.
रिपोर्टः रॉयटर्स; एएफपी/ए कुमार
संपादनः आभा एम