बलात्कार के बाद मिर्ची स्प्रे की बढ़ती मांग
२५ दिसम्बर २०१२दिल्ली में चलती बस में बलात्कार की घटना के बाद ही महाराष्ट्र में ठाणे के पुलिस अधिकारी केपी रघुवंशी ने कहा, "महिलाओं को सीखना होगा कि अपनी रक्षा कैसे करनी है. उन्हें अंधेरा होने के बाद बाहर नहीं जाना चाहिए और अपने साथ मिर्च का पैकेट रखना चाहिए ताकि कोई हमला करे तो उस पर इस्तेमाल कर सकें."
रघुवंशी की इस सलाह ने एक नई बहस छेड़ दी है. सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की रंजना कुमारी का कहना है कि ऐसी सलाह देना समस्या का हल नहीं, "वे चाहते हैं कि महिलाएं बस घर पर रहें, और छह सात आदमियों के खिलाफ यह मिर्च पाउडर कैसे काम करेगा?"
पुलिस की नाकामी
युवाओं में भी इस तरह की टिप्पणी पर रोष है. राजधानी दिल्ली में चल रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाली मीनाक्षी शर्मा का कहना है कि रघुवंशी का बयान पुलिस की नाकामी को दर्शाता है, "उन्होंने कहा है कि महिलाओं को सूरज ढलने के बाद घर पर रहना चाहिए. यह तो फालतू की बात है. आप इस सदी में ऐसी सलाह दे रहे हैं जब हर क्षेत्र में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात की जा रही है."
उन्होंने रघुवंशी की अंधेरा हो जाने के बाद बाहर न जाने की सलाह को तो नहीं माना है, लेकिन वह पेपर स्प्रे जरूर साथ रखने लगी हैं, "अगर मुझे जरूरत है तो मैं बाहर जाऊंगी. देश का कोई भी कोना सुरक्षित नहीं है और सरकार हमें सुरक्षा दिलाने में असमर्थ है. पिछले हफ्ते मैंने पेपर स्प्रे खरीदा है और अब मैं जहां भी जाती हूं वह मेरे साथ होता है."
मीनाक्षी की तरह सैकड़ों लड़कियों ने पेपर स्प्रे खरीदना शुरू कर दिया है. कई शहरों में अचानक ही इनकी बिक्री बढ़ गई है.
स्प्रे की बढ़ती बिक्री
कोबरा सेल्फ डिफेन्स स्प्रे के वितरक अंगद अरोड़ा इस बात की पुष्टि करते हैं, "इस साल की शुरुआत में मैं हर महीने 50 से 60 डिब्बे बेच रहा था. अब मैं 700 डिब्बे बेच रहा हूं. छोटे शहरों से भी अब बहुत मांग आ रही है." एक अन्य वितरक का कहना है कि गुवाहाटी में स्कूली छात्रा के साथ सड़क पर बदसलूकी के बाद से ही पेपर स्प्रे की मांग बढ़ने लगी थी.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भले ही टीवी पर अपने भाषण में यह आश्वासन दिया हो कि वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम करेंगे, लेकिन सच्चाई तो यही है कि भारत में महिलाएं अब खुद को पहले से ज्यादा असुरक्षित महसूस कर रही हैं.
देश के लिए शर्मनाक
हैदराबाद में एक कॉल सेंटर में काम करने वाली निशा सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री का प्रशासन पर कोई नियंत्रण ही नहीं बचा है. ऐसे में बाकी लड़कियों की तरह वह भी अपनी सुरक्षा खुद ही करना चाहती हैं, "मुझे यहां हैदराबाद में मिर्ची स्प्रे नहीं मिल रहा था, मैंने इंटरनेट पर भी ढूंढा और फिर पुणे से मंगवाया. मुझे पूरा यकीन है कि लड़कियों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और इसीलिए जल्द ही यह आम दुकानों पर भी मिलने लगेगा."
शिलांग की नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी के प्रसनजीत बिस्वास का कहना है कि मिर्ची स्प्रे की बढ़ती मांग सरकार की नाकामी का जीता जागता सबूत है, "भारत में महिलाओं के लिए एक आम दिन भी किसी जंग जैसा होता है. अपनी सुरक्षा के लिए पेपर स्प्रे रखना इस मामले की गंभीरता को दिखाता है."
रिपोर्टः शेख अजीजुर रहमान, कोलकाता/आईबी
संपादनः ए जमाल