बल्लेबाजों की नाकामी ने दिल दुखायाः धोनी
१५ जनवरी २०१२महज ढाई दिनों में घुटने टेक देने वाली टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का कहना है कि नई परिस्थितियों में खुद को नहीं ढाल पाने और शीर्ष बल्लेबाजों के नाकाम रहने के कारण भारत ने ऑस्ट्रेलिया के हाथों सीरीज गंवाई है.
मैच खत्म होने के बाद काफी निराश नजर आ रहे कप्तान धोनी ने पत्रकारों से कहा, "हमने इस पूरी सीरीज में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. खास तौर से इस टेस्ट में डेविड वार्नर ने बहुत अच्छा खेल दिखाया और हमसे मैच छीन लिया. हम केवल यही कह सकते हैं कि बल्लेबाजी की वजह से यह हालत हुई है. हम दूसरी पारी में काफी रन बना सकते थे. बल्लेबाजी की नाकामी हमें तकलीफ दे रही है."
पांच दिनों का खेल ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने महज ढाई दिन में निपटा कर पर्थ के टेस्ट और सीरीज पर कब्जा कर लिया. चार मैचों की सीरीज में उन्होंने 3-0 से कब्जा कर लिया. टीम इंडिया बुरी तरह परास्त हुई है. यह विदेशी धरती पर उनकी लगातार सातवीं हार है. पिछले दौरे पर वो इंग्लैंड गए थे और वहां भी उन्हें 4-0 से हार का मुंह देखना पड़ा. पर्थ की पहली पारी में महज 161 रन पर आउट हुई भारत की टीम दूसरी पारी में भी कुछ खास नहीं कर सकी और महज 171 रन पर सिमट गई. विराट कोहली के बनाए 75 और राहुल द्रविड़ के 47 रनों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई, पर यह सब ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में बने 369 के आंकड़े के पार नहीं जा सका. नतीजा ये हुआ कि भारत एक पारी और 37 रनों से हार गया.
हालांकि कप्तान धोनी अभी हताश नहीं हुए हैं और उन्होंने एडिलेड में होने वाले चौथे टेस्ट से उम्मीद बना रखी है. धोनी ने कहा, "यह सीरीज काफी मुश्किल रहा है. हम अपनी क्षमता के हिसाब से एक बार भी बैटिंग नहीं कर सके. निश्चित रूप से हम एडिलेड में अपनी बल्लेबाजी को बेहतर करने की कोशिश करेंगे. हमारे गेंदबाजों ने दिखाया है कि वो विकेट लेने में सक्षम हैं. हमें बस कुछ और रन बनाने की जरूरत है."
धोनी ने कहा कि उनके खिलाड़ी यहां के बदले मौसम में खुद को जल्दी से ढाल नहीं पाए और इससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा है. धोनी के मुताबिक इंग्लैंड में हार के पीछे भी यही वजह थी. धोनी ने कहा, "जब आप ऑस्ट्रेलिया आते हैं तो आपको तेज और उछाल का सामना करना होता है, इसी तरह इंग्लैंड में आपके सामने स्विंग होती है. जब आप यहां होते हैं तो आपको फिरकी गेंदबाजों के घुमाव और उछाल से बचना होता है. हम इन परिस्थितियों के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाए बस."
रिपोर्टः पीटीआई/ एन रंजन
संपादनः एम गोपालाकृष्णन