बांग्लादेश के इस्लामी नेता ने कबूल किए जनसंहार के आरोप
६ मई २०११बांग्लादेश में आजादी की जंग के दौरान बड़े पैमाने पर एक खास जाति के लोगों को निशाना बनाया गया. देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात ए इस्लामी के मुखिया मोतिउर रहमान निजामी ने कहा है, "मैं अपनी जान बचाने के लिए ऐसा करने पर मजबूर हुआ क्योंकि अगर मैं ऐसा नहीं करता तो पाकिस्तान की सेना मुझे मार डालती." बांग्लादेश में आजादी की लड़ाई के दौरान मानवता के खिलाफ हुए अपराधों की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है.
स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी के संयोजक सनाउल हाकेम ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि निजामी ने मान लिया है कि पाकिस्तान की सेना ने जो अत्याचार किए वह वास्तव में एक खास जाति के खिलाफ जनसंहार था. जमात ए इस्लामी बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी गठबंधन में बांग्लादेश नेशनल पार्टी यानी बीएनपी की प्रमुख सहयोगी है. इस पार्टी पर आजादी की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना का साथ देने का आरोप लगा है.
पिछले साल मार्च में सत्ताधारी अवामी लीग ने एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन कर जनसंहार के आरोपी युद्ध अपराधियों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई शुरू की है. खासतौर से उन लोगों पर मुकदमा चलाया जा रहा है जिन्होंने जंग में पाकिस्तानी सेना का साथ दिया. इस हाई प्रोफाइल संदिग्ध युद्ध अपराधी के खिलाफ पूछताछ अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्यूनल के आदेश पर शुरू हुई है. जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि वो ट्राइब्यूनल से पूछताछ के लिए एक और दिन की मांग करेंगे क्योंकि निजामी ने कई जानकारियां छुपाने की कोशिश की है.
अधिकारियों के मुताबिक निजामी को 1971 में हुए अपराधों की कई तस्वीरें दिखाई गई हैं जिनमें उसके शामिल होने के संकेत मिलते हैं. इस मामले में निजामी समेत कुल सात हाई प्रोफाइल लोग मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में जेल में बंद हैं. इनमें जमात ए इस्लामी के पांच बड़े नेता हैं जिनमें एक निजामी भी है. इन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.
इससे पहले आई खबरों में कहा जा गया कि ब्रिटेन के तीन बड़े वकील इन पांचों प्रमुख आरोपियों की बचाव में बहस करेंगे. इन वकीलों में एक वह वकील भी शामिल है जिसने यूगोस्लाव के राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविच का मुकदमा लड़ा था. बांग्लादेश ने पिछले साल उच्च अधिकार से लैस तीन सदस्यों वाली ट्राइब्यूनल का गठन कर युद्ध अपराधियों को सजा देने की शुरूआत की है. निजामी ने कथित रूप से अल बद्र नाम के गुट का नेतृत्व किया जिस पर उस दौरान जनसंहार, बलात्कार और हत्या के आरोप हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः उभ