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बांग्लादेश में वेतन पर मजदूरों का दंगा

३० जुलाई २०१०

बांग्लादेश में कपड़ा फैक्ट्री मजदूरों के वेतन पर हंगामा हो रहा है. नाराज मजदूर जब दुकानें और फैक्ट्री लूटने लगे तो पुलिस को लाठी चार्ज करना पडा. पश्चिमी देशों में बिकने वाले बहुत से कपड़े बांग्लादेश में बनते हैं.

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पुलिस ने किया लाठी चार्जतस्वीर: AP

गुरुवार को सरकार ने इन मजूदरों का वेतन प्रति महीने 1,662 टका से बढ़ाकर 3,000 टका किया है लेकिन कई मजदूर यूनियन हर महीने 5,000 टका की मांग कर रही हैं. वेतन में हुई वृद्धि को खारिज करते हुए नाराज मजदूरों ने राजधानी ढाका में सड़क पर टायर जलाए, इमारतों को नुकसान पहुंचाया और फर्नीचर को आग लगाई. सरकार की तरफ से होने वाली कार्रवाई के बावजूद वे अपना आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं.

Proteste der Textilarbeiter in Bangladesch
फैक्ट्रियों में जमकर तोड़फोड़तस्वीर: AP

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "हिंसा ठंडी पड़ गई है लेकिन खत्म नहीं हुई है." बांग्लादेश की गारमेंट्स फैक्ट्रियां जेसी पेनी, वॉल मार्ट, एचएंडएम, कोह्ल्स, मार्क्स एंड स्पेंसर, जारा और कारफोर जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के लिए कपड़े तैयार करती हैं. यही बांग्लादेश का सबसे बड़ा निर्यात है. दुनिया के गरीब देशों में शामिल बांग्लादेश साल में 16 अरब डॉलर का सालाना निर्यात करता है जिसमें 80 फीसदी से ज्यादा निर्यात कपड़ों का होता है. लेकिन कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों को बेहद कम वेतन मिलता है.

एक प्रदर्शनकारी मजदूर पुतुल बेगम ने कहा, "हम जिंदा रहने के लिए काम करते हैं. महंगाई दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. थोड़े से पैसे में हम अपने परिवार की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. मेरा छह लोगों का परिवार है. तीन हजार टका में तो उनके लिए सिर्फ खाने का इंतजाम होगा. उनकी दवा, बच्चों की स्कूल की फीस और दूसरे खर्चों को हम कैसे पूरा करें."

बांग्लादेश में खेती बाड़ी के बाद सबसे ज्यादा लोग कपड़ा उद्योग में ही काम करते हैं. देश भर में इस तरह की 4500 फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 35 लाख लोग काम करते हैं. श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार मिल मालिकों से बात करेगी ताकि मजदूरों को बोनस, ओवरटाइम का पैसा और किराया भत्ता जैसी सुविधाएं मिल सकें.

Proteste der Textilarbeiter in Bangladesch
वेतन बढ़ाओतस्वीर: AP

उधर पुलिस और सरकार समर्थन यूनियनों का आरोप है कि विपक्षी पार्टियां सरकार पर दबाव बनाने के लिए मजदूरों को भड़का रही हैं. ढाका के पुलिस कमिश्नर एकेएम शाहिदुल हक कहते हैं, "सभी पर्दशनकारी फैक्ट्री मजदूर नहीं है. उनमें बहुत से बाहरी लोग भी हैं जो हालात को खराब कर रहे हैं."

प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका में कई जगहों पर लूटपाट और आगजनी की है. इसी कारण से बहुत सी फैक्ट्रियों को बंद करना पडा है. स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पडा है. कई जगह पुलिस पर पथराव भी किया गया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम