बाढ़ का कहर
भारत में लोगों को हर साल मॉनसून का इंतजार रहता है. शहर के लोगों को गर्मियों से राहत पाने के लिए तो गांवों में किसानों को फसल के लिए. लेकिन मॉनसून कहर लाता है.
शहर डूबे गांव डूबे
लेकिन जब मॉनसून आता है तो लोगों की शामत आ जाती है. शहर डूब जाते हैं क्योंकि कहीं भी सीवेज सिस्टम वर्षा के पानी को निकालने में सक्षम नहीं है.
बीमारी का डर
शहरों में सड़कें डूब गई हैं. नालों की गंदगी बाढ़ के पानी में घपलमिल गई है. और बच्चे उसी पानी में डूबकर स्कूल जा रहे हैं.
पानी की मार
इस साल भी ऐसा ही हुआ है. मॉनसून आते ही उत्तर भारत के कई इलाके बरसात की विभीषिका झेल रहे हैं. शहरों के अलावा देहाती इलाकों में भी पानी भर रहा है.
लाखों प्रभावित
असम में भारी बरसात के बाद आई बाढ़ में 18 जिलों में लाखों लोग प्रभावित हैं. उनके घर डूब गए हैं. संचार संपर्क टूट गया है. नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
नेशनल पार्क भी डूबा
काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा भी बाढ़ में डूब गया था. नेशनल पार्क में रहने वाले जानवरों का बुरा हाल है. आस पास के अभयारण्यों से जानवर भाग रहे हैं.
हाथियों की शामत
नेशनल पार्क पानी भरने से वहां रहने वाले हाथियों की भी जान पर बन आी है. उनके पानी में डूबने का खतरा पैदा हो गया है.
टक्कर का डर
डूबने से बचने के लिए इस हाथी की तरह दूसरे जानवर भी ऊंची जगहों का रुख कर रहे हैं. और पार्क से होकर गुजरने वाली सड़कों पर दुर्घटना का शिकार बनने के खतरे हैं.
देश से कटा माजुली
जोरहाट जिले में मीठे पानी की झील माजुली कुछ दिनों से पूरे देश से कटी हुई है. प्रांतीय सरकार ने केंद्र से बाढ़ का सामना करने के लिए अतिरिक्त मदद मांगी है.