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बाल श्रम सबसे ज्यादा भारत में

७ अक्टूबर २०११

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार दुनिया भर में 21 करोड़ से अधिक बच्चों से मजदूरी करवाई जाती है. भारत में सबसे ज्यादा होता है बाल श्रम.

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तस्वीर: Debarati Mukherji

दुनिया में ऐसे 71 देश हैं जहां बच्चों से मजदूरी करवाई जाती है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की नई रिपोर्ट में 140 देशों का आंकलन किया गया है. 'फाइंडिंग्स ऑन द वर्स्ट फॉर्म्स ऑफ चाइल्ड लेबर' नाम की इस रिपोर्ट में ऐसी 130 चीजों की सूची बनाई गई है जिन्हें बनाने के लिए बच्चों से काम करवाया जाता है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ईंटें तैयार करने से ले कर मोबाइल फोन के पुर्जे बनाने तक के कई काम बच्चों से लिए जाते है.

आईएलओ का कहना है कि दुनिया में एक तिहाई देशों ने अब तक ऐसी सूची बनाई ही नहीं है जिस से वे तय कर सकें कि कौन से काम बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं. कई देशों में काम करने की कोई न्यूनतम उम्र तय नहीं की गई है, और उन देशों में जहां बाल श्रम के खिलाफ कानून हैं वहां इनका ठीक तरह से पालन नहीं किया जाता. विकासशील देशों में बाल श्रमिकों की संख्या सब से ज्यादा है. अफ्रीका और एशिया के कई देशों में यह एक बड़ी समस्या है.

Kind als Lemo-Verkäufer in Indien
तस्वीर: AP

नन्हें हाथों से

सूची में बताए गए उत्पादों में से बीस ऐसे हैं जो भारत में बनाए जाते हैं. यह सबसे ज्यादा है. इनमें बीड़ी, पटाखे, माचिस, ईंटें, जूते, कांच की चूड़ियां, ताले, इत्र और फुटबॉल शामिल हैं. साथ ही बच्चों से कालीन बनवाए जाते हैं, कढ़ाई करवाई जाती है और रेशम के कपड़े भी उन्हीं से बनवाए जाते हैं. ये काम बारीक होते हैं, इसलिए बच्चों के नन्हें हाथों की जरूरत पड़ती है. रेशम के तार खराब ना हो जाएं इसलिए बच्चों से कपड़े बनवाए जाते हैं.

भारत के बाद बांग्लादेश और फिलीपीन्स के नाम इस सूची में दिए गए हैं. बांग्लादेश में 14 उत्पादों का जिक्र किया गया है जो भारत में बनने वाले उत्पादों जैसे ही हैं. इन में स्टील का फर्नीचर बनाना और चमड़े का काम भी शामिल है. वहीं फिलीपीन्स में बच्चों से खेती का काम कराया जाता है. केला, नारियल, भुट्टा, चावल, गन्ना और तम्बाकू - इन सब की खेती में बच्चों से मजदूरी करवाई जाती है. साथ ही गहने और अश्लील फिल्मों के लिए इस्तेमाल होने वाला समान भी उनसे बनवाया जाता है.

Kinderarbeit
तस्वीर: AP

भारत की स्थिति

अमेरिका की श्रम मंत्री हिल्डा सोलीस ने इस पर खेद जताते हुए कहा, "मेरा मानना है कि भगवान ने हम सब को कोई ना कोई खूबी दी है...हमारा फर्ज बनता है कि हम हर बच्चे को उसके सपने पूरे करने में मदद करें." श्रम विभाग में अंतरराष्ट्रीय मामलों पर नजर रखने वाली सेंड्रा पुलास्की ने भारत का बचाव करते हुए कहा कि भारत का नाम सूची में सबसे ऊपर होने का मतलब यह नहीं है कि उसने अपनी आंखों पर पट्टी बांधी हुई है, बल्कि इसकी वजह यह है कि भारत की आबादी बहुत ज्यादा है, "भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. देश जितना बड़ा होगा और वहां जितनी ज्यादा गरीबी होगी, यह सब उतना ही ज्यादा देखने को मिलेगा." 2010 में भारत में बच्चों के लिए शिक्षा को अनिवार्य करने पर पुलास्की ने भारत को बधाई देते हुए कहा, "भारत सरकार का खुद यह कहना है कि उन्हें इस दिशा में अभी और बहुत काम करना है."

रिपोर्ट: एएफपी/ ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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