बिगड़ैल बालोटेली को एक और मौका
२१ दिसम्बर २०१२22 साल के बालोटेली इंग्लैंड के क्बल मैनचेस्टर सिटी के लिए खेलते हैं. लेकिन बीते दो महीनों से बालोटेली और मैन सिटी के बीच खटपट तेज हो गई है. अनुशासन तोड़ने की वजह से वह निलंबित हुए और बीते सत्र में क्लब के लिए 11 मैच नहीं खेल सके. अब क्लब जुर्माने के तौर पर बालोटेली की दो हफ्ते की फीस काटना चाहता है. यह रकम 5,52,900 डॉलर बैठती है. इतालवी स्ट्राइकर ने क्लब के फैसले को चुनौती देने का मन बनाया है. बालोटेली मामले को प्रीमियर लीग ट्राइब्यूनल में ले जाने की बात कर रहे हैं.
स्टार खिलाड़ी और क्लब के झगड़े की मार मैनचेस्टर सिटी के कोच रोबेर्टो मानसिनी पर पड़ रही है. किसी तरह मामला शांत करने में जुटे मानसिनी की कोशिशों को बुधवार को थोड़ी कामयाबी मिली. कोच के मुताबिक बालोटेली ने अपने बयानों के लिए माफी मांगी है. मानसिनी ने कहा, "वह बहुत दुर्भाग्यशाली हैं, वह बीमार हैं. यह एक पुरानी लेकिन सामान्य बात है कि जब कोई गलती करता है तो उसे जिम्मेदारी लेनी चाहिए. मारियो ने ऐसा किया है. यह सामान्य बात है."
कोच से जब यह पूछा गया कि क्या बालोटेली ने उनकी वजह से ऐसा किया है तो मानसिनी ने कहा, "वह खुद का बहुत सम्मान करता है, मेरा नहीं. यह जरूरी है कि आप अपना सम्मान करें. दूसरे खिलाड़ियों की तरह मैं उनका भी मैनेजर हूं और वह एक और मौका दिए जाने के योग्य हैं तो उन्हें मिलेगा."
इसी हफ्ते मानसिनी को मैनचेस्टर सिटी का कोच बने हुए तीन साल पूरे हो रहे हैं. उनकी अगुवाई में क्लब इंग्शिश प्रीमियर लीग का चैंपियन बना. माना जा रहा है कि तीसरी सालगिरह की वजह से मानसिनी की बात टीम मैनजमेंट ने सुनी है और बालोटेली को एक मौका और देना का फैसला किया है. माना जा रहा है कि बालोटेली और क्लब के बीच कुछ समझौता होगा. सिटी उन्हें ट्राइब्यूनल में न जाने के लिए मना लेगा.
बालोटेली को समय समय पर मैदान के भीतर और बाहर संयमित व्यवहार करने की सलाह दी जाती रहती है. इसके बावजूद वह अक्सर रेफरी से उलझ ही पड़ते हैं. वह आए दिन पीला या लाल कार्ड देखने के आदी हो चुके हैं. इसी साल यूरोप के सबसे प्रतिष्ठित मुकाबले यूरो 2012 के सेमीफाइनल में वह जर्मनी के खिलाफ इटली के हीरो रहे. उन्होंने चीते जैसी फुर्ती से पहला गोल किया और उसके बाद अपनी जर्सी उतार दी. फीफा ने जर्सी उतारने पर पाबंदी लगाई है लेकिन इसकी परवाह किये बिना बालोटेली ने शर्ट उतार दी. नतीजा ये हुए कि गोल की सीटी बजाने के तुरंत बाद रेफरी ने उन्हें पीला कार्ड दिखा दिया. प्रेस ने जब उनकी आलोचना की तो बालोटेली ने कहा, 'वह बक बक की परवाह नहीं करते.'
बालोटेली का आलोचना इटली के अखबार भी करते हैं. इसके जबाव में बालोटेली कहते हैं कि इटली वालों के तानों से बचने के लिए ही वह दूसरे देशों में फुटबॉल खेलना पसंद करते हैं. लेकिन आए दिन खड़े होते विवाद सवाल कर रहे हैं कि दूसरे देशों में भी बालोटेली का ये खेल कितने दिन चलेगा.
ओएसजे/एनआर (एएफपी)