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बिन लादेन का बॉडीगार्ड जर्मनी में

९ अगस्त २०१२

ओसामा बिन लादेन का अंगरक्षक रहा एक शख्स आठ साल तक जर्मनी में रहा और यहां कट्टरता फैलाता रहा. लेकिन नियमों की वजह से उसे देश से बाहर नहीं किया जा सका.

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तस्वीर: Matthias Graben/WAZ

जर्मन अधिकारियों का कहना है कि वह बोखुम शहर में रहा और लोगों के बीच सिर्फ सामी ए नाम से जाना जाता रहा. वह आस पास के लोगों को जिहाद के नाम पर भड़काया करता. उसने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में समय बिताया था. करीब 36 साल के इस शख्स ने एक जर्मन महिला से शादी कर ली, लिहाजा उसे देश से निकाला नहीं जा सका.

जर्मनी के नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया प्रांत में घरेलू खुफिया सेवा की प्रवक्ता ने बताया, "हमें पता है कि सामी ए 2000 के अंत में अफगानिस्तान और पाकिस्तान गया, जहां संभव है कि उसने ओसामा बिन लादेन के अंगरक्षक का काम किया. सुरक्षा सेवा और खुफिया विभाग 2004 से ही उस पर बारीकी से नजर रखे हुए है. हम उसे खतरनाक मानते हैं क्योंकि वह जर्मनी में कट्टर संदेश फैला रहा था."

Salafisten Islamisten in Deutschland
तस्वीर: picture-alliance/dpa

प्रांत के गृह मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने बताया कि सामी ए को कभी हिरासत में नहीं लिया गया लेकिन उसके लिए जरूरी था कि वह हर रोज बोखुम पुलिस में जाकर हाजिरी दे. जर्मन अधिकारियों ने 2006 से ही इस बात की कोशिश की कि सामी ए को उसके देश ट्यूनीशिया भेज दिया जाए लेकिन यह मुमकिन नहीं हो पाया क्योंकि उसने एक जर्मन महिला से शादी कर ली थी और उनके तीन बच्चे हैं.

सामी ए के करीबी चार लोगों पर खतरनाक साजिश करने का शक है. इनमें से दो के खिलाफ जुलाई में मुकदमा शुरू हुआ है. ये अल कायदा सेल के बताए जाते हैं. सरकारी वकील का कहना है कि 20 से 30 साल की उम्र के ये लोग खतरनाक साजिश रच रहे थे.

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जर्मनी में सलाफी लोगों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. बताया जाता है कि 40 लाख लोगों में करीब 4000 लोग सलाफी हैं, जो बेहद कट्टर माने जाते हैं. इन्होंने कई हिस्सों में लोगों में मुफ्त कुरान बांटी है और पुलिस से आए दिन उनका पंगा होता है. पुलिस ने 14 जून को जर्मनी के कई ठिकानों पर छापा मारा है, जहां सलाफियों के होने का शक था. उनका इरादा है कि यूरोप में शरीया लागू कर दिया जाए और पुलिस को डर है कि वे अल्प संख्या में मौजूद मुसलमानों को बहकाने का काम कर रहे हैं.

सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि 9/11 में भले ही जर्मनी का बड़े बड़े अक्षरों में नाम लिया जाता है क्योंकि इसकी साजिश हैम्बर्ग की एक मस्जिद में बनी थी. लेकिन फिर भी अगर अमेरिका या ब्रिटेन से तुलना की जाए तो जर्मनी में आतंकवाद का खतरा बहुत छोटा है.

एजेए/एमजी (रॉयटर्स)

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