बिना खुदाई तेल
१८ दिसम्बर २०१३पूर्वी जर्मनी के इलाके ब्रांडनबुर्ग में आए दिन विशाल वायब्रेटिंग मशीनें धरती को थर्रा देती हैं. बेहद बड़े ट्रकों पर लगी मशीनें धरती में साढ़े तीन किलोमीटर गहराई की तक कंपन पैदा करती हैं. जिस तरह से पहाड़ों में आवाज गूंजती है, उसी तरह गहराई तक गई कंपन वापस लौटकर सतह पर महसूस की जाती है. जमीन पर खास माइक्रोफोन लगाए जाते हैं जो तरंगों को सही ढंग से पकड़ सकते हैं. मेरकिशे हाइडे कस्बे की ऑयल साइट पर करीब 200 जियोफोन लगाए हैं.
इस तरह की भूकंपीय तंरगों की जांच में बहुत वक्त लगता है. कुछ ठोस नतीजों के लिए तीन महीने की जांच जरूरी है. जांच दल जमीन के भीतर का 3डी खाका तैयार करना चाहता है. इसमें 90 लाख यूरो खर्च होंगे. प्रोजेक्ट चला रही कंपनी सीईपी प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ थोमास श्रोएटर कहते हैं, "मुझे लगता है कि अगर मैं कहूं कि यहां तेल है तो ये बात आप भी मान लेंगे. हमें तेल मिला है और इस नई तकनीक से जमीन के नीचे की परतों को ऐसी बारीकी से देखा जा सकता है जैसा पहले कभी नहीं देखा गया."
पांच साल की पूरी योजना में करीब साढ़े सात करोड़ यूरो खर्च होंगे. स्थानीय निवासी और किसानों को मुआवजा दिया गया है. मोटे तार और जियो माइक्रोफोन की वजह से लोगों को कुछ दिक्कत जरूर हुई है, लेकिन वहीं स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि तेल उनके लिहाज में खुशहाली लाएगा.
मेरकिशे हाइडे के मेयर को भी कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन क्या उनका कस्बा तेल से वाकई मुनाफा कमा सकेगा, इस पर तो उन्हें भी शक है. मेयर डीटर फ्रायहॉफ कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि अथाह पैसा यहां हमारे पास इसी इलाके में रहेगा. ढांचे के हिसाब से हमारा इलाका पिछड़ा है और अगर यहां 20 नौकरियां भी पैदा हों और 20 ऐसी नौकरियां जो 20 से 50 साल तक बनी रहें तो मुझे लगता है कि हमारे समुदाय के लिए बड़ी जीत होगी."
लोगों को रिझाये रखने के लिए कंपनी प्रचार अभियान के तहत वर्कशॉप चला रही है. 2012 में टेस्ट ड्रिलिंग के दौरान भी ऐसा ही था. शुरुआत में कुछ लोग कह रहे थे कि यहां छेद ही छेद हो जाएंगे. श्रोएटर इसका जवाब देते हैं, "नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा. इस तरह तो बहुत पहले किया जाता था. अब जमीन के अंदर एक पाइप डाला जाता है और उसी से सारे कनेक्शन जोड़ दिये जाते हैं. अब 100-100 मीटर पर खुदाई की जरूरत नहीं है."
काम की रफ्तार भले ही तेज लगे, लेकिन ब्रांडनबुर्ग से बड़े पैमाने पर तेल निकालने में अभी कम से कम चार साल और लगेंगे. 2017 तक यहां से 15 फीसदी तेल निकाला जाने लगेगा, पूरी रफ्तार से उत्पादन उसके बाद ही शुरू हो सकेगा.
रिपोर्ट: क्रिस्टीना रोएडर/ओएसजे
संपादन: ईशा भाटिया