"बुश ने माना अपराध, अब मुकदमा चलाओ"
१० नवम्बर २०१०संदिग्ध आतंकवादियों से पूछताछ के लिए वॉटरबोर्डिंग विधि को उचित ठहराने के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को कड़ी आलोचना सहनी पड़ रही है. वॉटरवोर्डिंग यातना की वह विधि है जिसमें पानी में डूबने का अहसास होता है.
अमेरिकी सेना के सर्वोच्च कमांडर ने हाल ही प्रकाशित अपने संस्मरण में दावा किया है कि वॉटरबोर्डिंग तकनीक ने सीधे ब्रिटेन और अमेरिका में आतंकी हमलों को रोका.
मानवाधिकार संगठन लिबर्टी के शमी चक्रबर्ती ने आरोप लगाया है, "9/11 के अत्याचार के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया को आतंकवाद और कानून सम्मत समाज के लिए एकजुट कर सकते थे. इसके बदले राष्ट्रपति बुश ने आजादी के नाम पर एक महान लोकतंत्र को झूठ, युद्ध और यातना के दलदल में धकेल दिया."
ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि वह वॉटरबोर्डिंग को पहले की तरह यातना मानती है. पिछले महीने ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई6 के प्रमुख जॉन सॉवर्स ने यातना के इस्तेमाल को "अवैध और घृणास्पद" बताया था. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनैशनल के स्टीव बेलिंगरन ने कहा है कि जॉर्ज बुश का वॉटरबोर्डिंग को उचित ठहराना गलत है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध है.
जॉर्ज बुश ने अपनी किताब डिसीजन प्वाइंट्स में लिखा है कि पूछताछ ने विदेशों में अमेरिकी राजनयिक संस्थानों, हीथ्रो एयरपोर्ट, लंदन में कनारी व्हार्फ और अमेरिका के अंदर कई ठिकानों पर हमलों की योजना का पर्दाफाश करने में मदद दी. पूर्व राष्ट्रपति ने द टाइम्स दैनिक के साथ बातचीत में कहा, "तीन लोगों की वॉटरबोर्डिंग की गई और मैं समझता हूं कि उस फैसले ने जानें बचाईं." बुश ने यह भी कहा कि 9/11 के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद पर इस विवादास्पद तकनीक के इस्तेमाल की अनुमति देना सही था.
मानवाधिकार संगठन रिप्राइव के क्लाइव स्टेफर्ड स्मिथ ने पूर्व अमेरिकी नेता पर उग्रपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "यातना की अनुमति देकर राष्ट्रपति बुश ने दुनिया को अनिश्चितकाल के लिए खतरनाक जगह बना दिया. अमेरिका के लिए सद्भावना का विशाल भंडार रिकॉर्ड समय में समाप्त हो गया."
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार