बॉम्बे हाई कोर्ट ने कसाब को मौत की सजा बरकरार रखी
२१ फ़रवरी २०११बॉम्बे हाई कोर्ट में सोमवार सुबह से ही पत्रकारों और दूसरे लोगें का तांता लग गया. खचाखच भरी अदालत में जज ने फैसला पढ़ा और वही सजा सुनाई, जो निचली अदालत ने पिछले साल मई में सुनाई थी. कसाब की फांसी की सजा बरकरार रखी गई है. आर्थर रोड की जेल से कसाब ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत की कार्रवाई देखी.
अदालत के फैसले के बाद मामले में बरी किए गए फहीम अंसारी के वकील एजाज नकवी ने इस बात की पुष्टि की कि कसाब को अदालत ने फांसी की सजा सुना दी है. नकवी ने कहा, "निचली अदालत के फैसले के बाद और आज बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद कसाब के चेहरे पर पश्चाताप के कोई भाव नहीं दिखे. वह मुस्कुरा रहा था, जिससे लगता है कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त था कि उसे क्या सजा मिलेगी और वह इसके लिए तैयार था."
नकवी ने कहा, "निचली अदालत ने जिन चार मामलों में कसाब को दोषी पाया था, हाई कोर्ट ने भी उन चारों मामलों में उसे दोषी करार देते हुए इस मामले को जघन्य अपराध (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) बताया. चारों मामले बरकरार रखे गए और अदालत ने उसे मौत की सजा सुना दी है."
इस मामले में निचली अदालत ने भारतीय नागरिक फहीम अंसारी और सबाहुद्दीन को बरी कर दिया था. हाई कोर्ट ने भी उन्हें सबूतों के अभाव में मामले से बरी कर दिया है. फहीम के वकील एजाज नकवी ने इस फैसले पर संतोष जताया.
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अदालत का फैसला आने से पहले सोमवार को कसाब आर्थर रोड जेल में सुबह सवेरे उठा और उसने इबादत की. जेल सूत्रों ने बताया कि कसाब ने सुबह उठ कर नमाज पढ़ी और बाद में कुरान की तिलावत की. आम तौर पर गुस्से में रहने वाला कसाब बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले से पहले गुमसुम हो गया था. उसने अपनी वकील फरहाना शाह से कह दिया था कि जब अदालत फैसला सुनाएगी तो वह वीडियो कांफ्रेंसिंग पर उपलब्ध रहेगा और खुद अपना फैसला सुनेगा.
लगभग सवा दो साल पहले 26 नवंबर, 2008 को कसाब और उसके नौ साथियों ने मुंबई के अलग अलग स्थानों पर आतंकवादी घटनाओं में 166 लोगों की हत्या कर दी. उन्होंने दो पांचसितारा होटलों और एक यहूदी ठिकाने के अलावा मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन पर अचानक धावा बोल दिया और अंधाधुंध गोलियां चला दीं. इसके बाद उन्होंने दो होटलों में लोगों को बंधक बना लिया और वहां लगातार कत्ले आम करते रहे. यह आतंकवादी घटना लगभग तीन दिनों तक चली.
भारत का आरोप है कि घटना की साजिश पाकिस्तान में रची गई लेकिन पाकिस्तान इससे इनकार करता है. हमले को अंजाम देने वाले 10 आतंकवादियों में नौ मुठभेड़ में मारे गए, जबकि कसाब एकमात्र जीवित बचा आतंकवादी है. उसके पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि हो चुकी है.
भारतीय कानून के मुताबिक अब कसाब इस सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट से भी अगर फांसी हुई, तो वह राष्ट्रपति से रहम की गुहार लगा सकता है.
भारत के कानून में फांसी का प्रावधान है लेकिन आम तौर पर मौत की सजा नहीं दी जाती. भारत में आखिरी बार 2004 में किसी को फांसी की सजा दी गई, जब नाबालिग बच्ची के बलात्कार और हत्या के दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी पर लटकाया गया.
मुंबई के आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बहुत बिगड़ गए और दोनों देशों के बीच क्रिकेट सहित हर तरह के संपर्क टूट गए. हालांकि अब दोनों ने एक बार फिर से बातचीत बहाल करने का फैसला किया है.
रिपोर्टः अनवर जे अशरफ
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन