बोतलों में बिकेगा 'मां का दूध'
१६ जून २०११कुछ दिनों पहले अर्जेंटीना ने क्लोनिंग से एक ऐसी गाय तैयार करने की बात कही थी जिसका दूध इंसानी दूध जैसा है. अर्जेंटीना के बाद अब चीन ने भी ऐसा ही दावा किया है. जहां अर्जेंटीना ने दुनिया की पहली 'मां का दूध' देने वाली गाय की बात कही, वहीं चीन का कहना है कि उसने एक नहीं बल्कि ऐसी कई गायें तैयार कर ली हैं और जल्द ही यह दूध बाजार में भी उपलब्ध होगा.
'गाय मां' का दूध
चीन के वैज्ञानिकों ने अनुवांशिक रूप से ऐसी संशोधित गायों को तैयार किया है जिनका दूध इंसानों के दूध के बराबर है. इंसानों के दूध के बदले इसे संभव विकल्प माना जा सकता है. चीन कृषि विश्वविद्यालय के एग्रोबायोटेक्नोलॉजी विभाग के शोधकर्ताओं ने मानव आनुवांशिक कोडिंग को गायों के डीएनए के जरिए पिंड गर्भ में डाला. उसके बाद पिंड गर्भ को गायों के सरोगेट में स्थानान्तरण किया गया.
चीन ने दावा किया है कि साल 2003 में चूहों पर बरसों तक प्रयोग करने के बाद वैज्ञानिकों ने पहली ऐसी गाय तैयार की है जिसका दूध मानवीय दूध जितना पौष्टिक है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह दूध स्वादिष्ट है और मिठास भी ज्यादा है. इस प्रयोग से जुड़े मुख्य वैज्ञानिक और प्रोफेसर ली नींग के मुताबिक, "आनुवांशिक रूप से संशोधित गायों का 80 फीसदी दूध मानव दूध के बराबर होता है. हमारी संशोधित गायों के दूध में मानव दूध के कई गुण हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है. ऐसा माना जाता है कि ये सेहत के लिए अच्छे होते हैं और प्रतिरोध क्षमता को बेहतर बनाते हैं."
चीन में जहरीला दूध
बीजिंग के पास एक फार्म में 300 से भी ज्यादा क्लोन गायों को रखा गया है. वहां हर हफ्ते एक बछड़े का जन्म होता है. ली की टीम को चीन की एक बड़ी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी का समर्थन प्राप्त है. कंपनी का लक्ष्य है कि तीन साल के भीतर बाजार में सस्ते दूध के विकल्प में इसे उतारा जाए.
चीन के 'खतरनाक' दूध पाउडर दुनिया भर में बदनाम है. दरअसल पिछले कुछ सालों में चीन के डेयरी सेक्टर को लेकर कई विवाद हुए. चीन के दूध में जहरीला केमिकल मिलने से उसकी छवि खराब हुई. साल 2008 में मिलावटी दूध पाउडर पीने से 6 बच्चों की मौत हो गई थी जबकि तीन लाख बच्चे बीमार पड़ गए थे. इस दूध में मेलामाइन मिला हुआ था, जो एक औद्योगिक रसायन है.
ली कहते हैं कि बाजार में इन गायों का दूध लाने से पहले कड़े सुरक्षा परीक्षण जरूरी है. वास्तव में मनुष्यों पर क्लिनिकल टेस्ट करने की जरूरत है, ताकि यह साबित किया जा सके कि गाय का दूध सुरक्षित है और बूढ़े, शिशु और बीमार लोगों के पीने लायक है. इसके बाद ही सरकार छानबीन कर इसे इस्तेमाल के लिए प्रमाणित कर सकती है "
रिपोर्टः रॉयटर्स/आमिर अंसारी
संपादनः ईशा भाटिया