ब्रह्मांड में "हम अकेले नहीं हैं"
२३ अप्रैल २००९भूतपूर्व चंद्रयात्री एडगर मिचेल का कहना है कि उन्हें पूरा विश्वास है कि "हम अकेले नहीं हैं." उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि ET, यानी मनुष्यों जैसे इतरलोकीय प्राणियों का भी अस्तित्व है. अमेरिका की सरकार उनके अस्तित्व के बारे में जानती है, लेकिन जनता को जानबूझ कर अंधेरे में रख रही है.
एडगर मिचेल अपने सहयात्रियों एलन शेपर्ड और स्टुअर्ट रूसा के साथ अपोलो-14 चंद्रयान से 5 फ़रवरी 1971 को चंद्रमा पर उतरे थे. उन्होंने एलन शेपर्ड के साथ 9 घंटे 17 मिनट तक चंद्रमा पर विचरण किया था, जो चंद्रविचरण का अब तक का रेकॉर्ड समय है.
उड़न तश्तरियां कई बार आयीं
विज्ञान के छात्र रहे और एरोनॉटिक्स में डॉक्टर की उपाधि प्राप्त मिचेल अब 78 वर्ष के हो चले हैं. जुलाई 2008 में भी उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा था कि वे जानते हैं कि इतरलोकीय प्राणी उड़न तश्तरी जैसी चीज़ों में कई बार पृथ्वी पर आ चुके हैं, हम मनुष्यों से संपर्क करने के प्रयास भी कर चुके हैं.
जब वह अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा के लिए काम कर रहे थे, तब इस तरह के "एलियन" के संपर्क में रह चुके "जानकार सूत्र" उन्हें बताया करते थे कि वे "छोटे कद वाले अजीब-से लोग" होते हैं. मिचेल का समझना है कि किसी दूसरी दुनिया से आने वाले ये प्राणी इस पारंपरिक मान्यता से बहुत अलग नहीं हैं कि उनका कद छोटा, आंखें बड़ी-बड़ी और सिर भी काफ़ी बड़ा होता है.
जानकारी सार्वजनिक करने का आग्रह
एडगर मिचेल ने अमेरिकी टेलीविज़न चैनल सीएनएन के साथ बातचीत में सोमवार 21 अप्रैल को अपनी पिछली कुछ बातें दुहरायीं और राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार से आग्रह किया कि उड़न तश्तरियों और इतरलोकीय प्राणियों के बारे में अब तक की जानकारियों को सार्वजनिक किया जाये.
जुलाई 2008 वाले रेडियो इंटरव्यू में मिचेल ने कहा था कि "यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं इस तथ्य को जानता हूँ कि इतरलोकीय प्राणी हमारे ग्रह पर आते रहे हैं और UFO (उड़न तश्तिरियों) के आने जैसी बातें सच हैं. हमारी सरकारें पिछले कोई 60 वर्षों से इस पर पर्दा डालती रही हैं. लेकिन, धीरे-धीरे यह जानकारी बाहर आ रही है और हम में से कुछ का सौभाग्य रहा है कि हमें इस बारे में बताया गया है. मैं ऐसे सैनिक और गुप्तचर दायरों में रहा हूं, जो जानते हैं कि सार्वजनिक जानकारी वाली सतह के नीचे, हां, इस तरह के यात्री यहां आये हैं."
रॉसवेल का रहस्य
एडगर मिचेल न्यू मेक्सिको में रॉसवेल नाम के जिस स्थान पर पले-बढ़े हैं, वहां के लोगों का विश्वास है कि 1947 में वहां एक रहस्यमय उड़न वस्तु अपने यात्रियों के साथ ज़मीन से टकरा कर ध्वस्त हो गयी थी. लोग यह भी मानते हैं कि अमेरिकी सेना ने इस घटना पर पर्दा डालने और प्रत्यक्षदर्शियों के मुंह बंद कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मिचेल के अनुसार रॉसवेल का निवासी होने के नाते उन्हें इस घटना का अब अच्छी तरह पता चल गया है. स्थानीय लोगों ने तथा "गोपनीयता की शपथ के बावजूद" सेना और गुपतचर सेवाओं के लोगों ने उन्हें इतना कुछ बताया है कि वे इस घटना पर पड़ा पर्दा उठाने में लग गये हैं.
पेंटागॉन तथ्य छिपा रहा है
सीएनएन को एडगर मिचेल ने यह भी बताया कि वे एकमात्र ऐसे अंतरिक्षयात्री हैं, जिसने दस साल पहले भी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागॉन को अपनी बात सुनाने का प्रयास किया था. वहां उन्होंने एक एडमिरल से बात की थी, जिसने रॉसवेल वाली घटना की "पुष्टि" की थी. लेकिन, बाद में उस एडमिरल ने जब और जानकारियां पाने की कोशिश की, तो उसे ऐसा करने से रोक दिया गया. मिचेल ने शिकायत की अब यह एडमिरल भी सारे मामले को ही झुठला रहा है.
अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा ने पिछले वर्ष भी और इस बार भी कहा कि उसे न तो उड़न तश्तरियों से कोई मतलब है और न ही वह तोपने-ढांपने की किसी गतिविधि से जुड़ा हुआ है.
1947 में रॉसवेल में ज़मीन से टकरा कर नष्ट हो गयी अज्ञात उड़न वस्तु के बारे में कहा जाता है कि उसके मलबे के बीच से छोटे कद के मनुष्य जैसे एक इतरलोकीय प्राणी का शरीर भी मिला था. उसकी चीरफाड़ कर उसकी शारीरिक बनावट को जानने का प्रयास भी हुआ था. लेकिन आधिकारिक तौर बाद में इस सब का खंडन किया जाने लगा.
ब्रिटेन फ़ाइलें सार्वजनिक करेगा
अमेरिकी सरकार तो नहीं, लेकिन ब्रिटिश सरकार के बारे में सुनने में आया है कि वह उड़न तश्तरियों संबंधी अवलोकनों और प्रत्यक्षदर्शी बयानों वाली कोई 200 चुनी हुई फ़ाइलें इस वर्ष सार्वजनिक करेगी. यह भी सुनने में आया है कि ब्रिटेन से जुड़े इस तरह के 90 प्रतिशत मामले रफ़ादफ़ा किये जा सकते हैं. शेष 10 प्रतिशत को आसानी से रफ़ादफ़ा नहीं किया जा सकता.
पृथ्वी पर उड़न तश्तरियां और इतरलोकीय प्राणी तभी आ सकते हैं, जब पृथ्वी के अलवा भी कहीं बुद्धिमान प्राणधारियों का अस्तित्व हो. अभी तक तो भू और अंतरिक्ष आधारित हमारे सारे दूरदर्शियों को ऐसे किसी अस्तित्व का रत्ती भर भी कोई संकेत नहीं मिला है.
केपलर खोजेगा जीवनयोग्य ग्रह
अमेरिका ने गत 6 मार्च को केपलर नाम का एक ऐसा नया दूरदर्शी अंतिरक्ष में भेजा है. वह पृथ्वी से 600 से 3000 प्रकाश वर्ष दूर के दो तारकमंडलों में एक लाख तारों की छानबीन करते हुए यह जानने की कोशिश करेगा कि क्या उन में से किसी के पास ऐसे ग्रह भी हैं, जहां जीवन संभव है. वैज्ञानिक सौरमंडल के बाहर अब तक जिन 300 ग्रहों का पता लगा पाये हैं, उनमें से कोई भी ऐसा नहीं प्रतीत होता, जहां पृथ्वी जैसा जीवन संभव हो.
जर्मनी में म्युनिक विश्वविद्यालय में खगोल भौतिकी के प्रोफ़ेसर डॉ. हाराल्ड लेश का कहना है, "मुझे पूरा विश्वास है कि अंतरिक्ष में बहुत सारे ग्रहों पर किसी-न-किसी प्रकार का जीवन है. लेकिन, हम धरती वाले अपने साधनों से जब तक उनका पता लगा पायेंगे, तब तक शायद 15 वर्ष और लग जायेंगे. तब भी हम शायद एक-आध छोटी-छोटी कोषिकाएं ही इधर-उधर घूमते देखेंगे."
जब पृथ्वी के निकटतम बाह्यग्रहों की दूरियां भी सैकड़ों-हज़ारों प्रकाश वर्ष हों, तब गंभीर क़िस्म के वैज्ञानिकों के लिए यह मानना कठिन हो जाता है कि क्या कहीं ऐसे बुद्धिमान प्राणी भी हो सकते हैं, जो प्रकाश की गति से यात्रा कर सकते हैं और हज़ारों-लाखों प्रकाश वर्ष की दूरियां एक ही जीवनकाल में पूरी कर पृथ्वी पर पहुंच सकते हैं?
रिपोर्ट- एजेंसियां / राम यादव
संपादन- ए कुमार