ब्लैकबेरी कर रहा है सुरक्षा चिंता पर चर्चा
६ अगस्त २०१०भारत के बाद अब लेबनान ने भी ब्लैकबेरी पर दबाव डाला है कि सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए वह सरकार को एसएमएस और ईमेल की जानकारी उपलब्ध करवाए. सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 11 अक्तूबर से ब्लैकबेरी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है तो सऊदी अरब आज से ही ब्लैकबेरी की इंटरनेट और एसएमएस सेवा पर रोक लगा रहा है.
भारत को चिंता है कि इन फोन्स का उपयोग आतंकी या चरमपंथी कर सकते हैं क्योंकि दूसरे मोबाइल फोन्स की तरह ब्लैकबेरी से संदेश और ईमेल सरकार नहीं देख सकती. क्योंकि ये संदेश किसी भी देश से पहले कनाडा, ब्रिटेन जाते हैं और फिर सीधे संबंधित फोन पर दिखाई देते हैं. बीच में कोई भी इन्हें नहीं पकड़ सकता.
इन सब दबावों के चलते कनाडा की सरकार ने ब्लैकबेरी की निर्माता कंपनी रिम को सहायता देने की बात कही है और ब्लैकबेरी यूएई और सऊदी अरब के साथ इस विषय पर सलाह मशविरा कर रहा है.कनाडा के व्यापार मंत्री पीटर फान लोन ने कहा, "हम रिसर्च इन मोशन कंपनी के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं और संबंधित देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं. ताकि आरआईएम उनकी चिंताओं को समझे और उनका हल निकाले."
अमेरिका ने कहा कि वह प्रतिबंध की धमकी देने वाले यूएई और दूसरे देशों के साथ तकनीकी मुद्दों पर बातचीत करेगा. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा, "हम बातचीत और विश्लेषण के लिए समय ले रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि सुरक्षा चिंताए हैं लेकिन साथ ही स्वतंत्र और मुफ्त इस्तेमाल का अधिकार भी है."
आरआईएम के सह कार्यकारी अधिकारी माइकल लैजैरिडिस का आरोप है कि सरकारें राजनीतिक कारणों से इस मुद्दे को उठा रही हैं."इंटरनेट में भी तो कूट भाषा का इस्तमाल किया जाता है तो फिर ब्लैकबेरी में क्या समस्या है. अगर वे इंटरनेट से दो चार नहीं हो सकते तो फिर उन्हें ये बंद कर देना चाहिए."
यूएई और बाकी देशों की सुरक्षा चिंता, प्रतिबंधों के मद्देनज़र आरआईएम के शेयर आठ फीसदी गिर गए. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इंडोनेशिया भी ब्लैकबेरी के डाटा को सरकार के लिए खोलने पर दबाव डाल रहा है. भारत सरकार ने कहा है कि वह ब्लैकबेरी की एसएमएस सेवा पर रोक लगा सकता है लेकिन इमेल वॉयसमेल्स जारी रखेगा.
आरआईएम का कहना है कि उसकी सुरक्षा व्यवस्था, सुरक्षा कोड हर ग्राहक अपने लिए तय करता है. कंपनी के पास कोई मास्टर की नहीं होती. न ही वह किसी और तरीके से इस कोड को तोड़ सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़