भारत-आस्ट्रेलिया: कहां मिलेगा नंबर सात
१९ अक्टूबर २०१०कोच्चि के विपरीत विशाखापत्तनम में धूप खिली हुई है. माना जा रहा है कि यहां मैच खेला जा सकेगा. दोनों टीमों के लिए नतीजा महत्वपूर्ण है. टेस्ट सीरीज में 2-0 से हार के बाद ऑस्ट्रेलिया अपनी खोई इज्जत की वापसी के लिए बेताब है, वहीं आईसीसी वनडे रैंकिंग में दूसरे नंबर पर रहने के लिए भारत वनडे सीरीज जीतना चाहता है. साथ ही टेस्ट मैचों में कामयाबी के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में भारत को कामयाबी नहीं मिली है. जाहिर है कि कप्तान धोनी और टीम के खिलाड़ी इस सिलसिले को बदलना चाहते हैं.
लेकिन विशाखापत्तनम का मैच और उसके बाद मारगाओ का मैच दोनों पक्षों के लिए ड्रेस रिहर्सल भी है - विश्वकप के लिए, और उसके बाद के दौर की खातिर भी. जैसा कि भारतीय कप्तान धोनी कह चुके हैं, विश्वकप के लिए भारत की टीम में अभी कुछ जगह खाली हैं. सलामी और मध्यक्रम की बल्लेबाजी में तो शायद नहीं, लेकिन चार गेंदबाजों के साथ खेलने वाली भारतीय टीम के लिए सातवे नंबर की बल्लेबाजी की समस्या अभी नहीं सुलझी है. रवींद्र जदेजा बल्लेबाज के रूप में नहीं उभर सके हैं. ऐसे में धोनी का कहना कि युवराज बदली भूमिका में दिखेंगे. यही दिखाता है कि शायद भारत एक पूरे ऑलराउंडर की जगह दो हाफ ऑलराउंडर तैयार करना चाहता है. अभी प्रयोग का सिलसिला चलेगा और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों मैच इस मायने में निर्णायक होंगे.
यह पूछे जाने पर कि ऑस्ट्रेलिया को किन खिलाड़ियों की कमी खल रही है, गिलक्रिस्ट ने मैकग्रॉ और वार्न का नाम लिया था, जिलेस्पी का नाम जोड़ा था. उनका कहना था कि बल्लेबाज नहीं, गेंदबाज मैच जिताते हैं. यहां ऑस्ट्रेलिया ही स्ट्राइक गेंदबाजों की कमी से नहीं जूझ रहा है, भारत भी सिर्फ पांचवें गेंदबाज को नहीं, बल्कि जहीर और हरभजन के साथ एक-एक तेज और स्पिन गेंदबाज ढूंढ़ रहा है, जो नियमित रूप से भरोसा दिला सके.
भरोसे की समस्या बल्लेबाजों के साथ भी है. गंभीर के फॉर्म का ग्राफ थोड़ा नीचे जा रहा है, उम्मीद की जानी चाहिए, अगली सीरीजों में फिर ठीक हो जाएगा. सचिन हैं, सहवाग हैं और युवराज का नाम भी तय समझा जा सकता है. रैना अपनी जगह लगभग पक्की कर चुके हैं. मध्यक्रम के एक और बल्लेबाज की जगह के लिए कई दावेदार हैं, प्रतिभाशाली दावेदार हैं. क्या वे भरोसामंद हैं? इस सीरिज में इस सवाल का भी जवाब ढूंढ़ा जाएगा.
रह जाती है फील्डिंग, जो बेहतर हुई है, लेकिन अच्छी नहीं. इस लिहाज से भी यह सीरीज और आने वाली सीरीजें निर्णायक हैं. वक्त कम है, लेकिन खेलने के मौके काफी हैं. देखा जाए, टीम इंडिया कहां तक उनका इस्तेमाल कर पाती है.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: ए कुमार