भारत और रूस में परमाणु समझौता
७ दिसम्बर २००९इसके अलावा रक्षा मामलों पर भी दोनों देशों ने अहम समझौते किए. भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रूस दौरे पर ये समझौते हुए.
यूं तो रूस में ज़बरदस्त सर्दी है और तापमान माइनस छह डिग्री के आस पास है. लेकिन राजधानी मॉस्को के ऐतिहासिक इमारत क्रेमलिन में दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से मुलाक़ात की. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने उस अरबों डॉलर के समझौते पर दस्तख़त कर दिए, जिसके बाद भारत को परमाणु बिजली और रिसर्च में काफ़ी मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री ने बताया कि परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन सप्लाई से कहीं आगे जाकर दोनों देश तकनीक और रिसर्च में एक दूसरे का साथ देंगे. दोनों नेताओं के बीच इसके अलावा आतंकवाद और अफ़ग़ानिस्तान पर भी बात हुई.
रूस भारत के कुडानकुलाम में परमाणु संयंत्र तैयार कर रहा है और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संकेत दिए हैं कि रूस के सहयोग से पश्चिम बंगाल में भी परमाणु संयंत्र बनाया जाएगा. रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेव का कहना है कि वह नहीं चाहते कि नए देशों के पास परमाणु हथियार आएं लेकिन वे परमाणु बिजली के लिए दूसरे देशों से समझौता करना चाहते हैं. उन्होंने भारत के साथ समझौते को बेहद अहम बताया.
लगभग 35 साल तक अलग थलग पड़े रहने के बाद भारत परमाणु शक्ति सपंन्न देशों में शामिल हो गया है. भारत और अमेरिका में पिछले साल परमाणु क़रार हुआ, जिसके बाद भारत का विशाल परमाणु बाज़ार खुल गया है और यहां कारोबार की बड़ी संभावनाएं सामने आ रही हैं. भारत में अमेरिकी कंपनियों के जड़ जमाने से पहले रूस सहित दूसरे देश उसके साथ क़रार करके अपनी राह आसान करना चाहते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/तनुश्री सचदेव
संपादनः ए जमाल