भारत का चांद मिशन ख़त्म
२९ अगस्त २००९चंद्रयान वन का नियंत्रण कक्ष से संपर्ट टूटने के साथ ही भारत की अति महत्वाकांक्षी चंद्र अभियान भी ख़त्म हो गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम अन्नादुरई ने कहा, "मिशन ख़त्म हो चुका है. हम यान से संपर्क खो चुके हैं."
हालांकि अन्नादुरई का दावा है कि भारत का चांद मिशन सफल रहा है. उन्होंने कहा, "इसने तकनीकी तौर पर अपना काम 100 फ़ीसदी पूरा कर दिया है और वैज्ञानिक नज़रिए से 90 से 95 फ़ीसदी."
पिछले साल 22 अक्तूबर को भारत ने चेन्नई के पास श्रीहरिकोटा से चंद्रयान वन का प्रक्षेपण किया था. दो साल के इस अभियान ने शुरुआत में अच्छा काम किया. लेकिन पिछले महीने यान में तकनीकी ख़राबी आ गई और इसरो ने तभी कह दिया था कि चंद्रयान दो साल के अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाएगा. शनिवार तड़के क़रीब डेढ़ बजे चंद्रयान का नियंत्रण कक्ष से रेडियो संपर्क टूट गया. इसके साथ ही भारत का चांद मिशन भी ख़त्म हो गया.
बैंगलोर के पास बयालू में अंतरिक्ष नेटवर्क को आख़िरी बार शनिवार आधी रात क़रीब साढ़े बारह बजे चंद्रयान ने आख़िरी बार आंकड़े भेजे. चंद्रयान 1380 किलोग्राम वज़नी अंतरिक्ष यान था और इसमें 11 आधुनिक उपकरण लगे थे. इनमें से छह उपकरण विदेशों से मंगाए गए थे. चंद्रयान से भेजे गए आंकड़ों पर काम चल रहा है और अब अंतरिक्ष वैज्ञानिक चंद्रयान की गड़बड़ी पर भी विचार कर रहे हैं.
चंद्रयान लगभग 312 दिनों तक चांद की कक्षा में बना रहा और इस दौरान उसने चंद्रमा के 3400 चक्कर लगाए. इस दौरान इसने अति संवेदनशील सेंसरों से सुसज्जित उपकरणों से बेहद अहम सूचनाएं और आंकड़े भेजे. यान में टेरेन मैपिंग कैमरा, हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजर और चांद पर खनिज का पता लगाने वाला उपकरण मौजूद था. भारतीय अंतरिक्ष विभाग का कहना है कि चंद्रयान ने अपने ज़्यादातर काम पूरे कर लिए हैं.
इससे पहले अप्रैल में चंद्रयान में तकनीकी ख़राबी आनी शुरू हो गई थी और जुलाई में इसके एक अहम सेंसर ने काम करना बंद कर दिया था.
चंद्रयान के प्रक्षेपण के साथ भारत दुनिया के गिनती के देशों में शामिल हो चुका है, जिन्होंने चांद अभियान में हिस्सा लिया है. इससे पहले चीन ने भी अक्तूबर 2007 में अपना चांद अभियान शुरू किया था. काम पूरा होने के बाद इस साल मार्च में उसे पृथ्वी पर से ही नियंत्रित कर चांद पर टकरा कर तोड़ दिया गया. जापान ने भी 2007 में चांद अभियान शुरू किया और उसका यान भी पिछले महीने टूट कर चांद पर बिखर गया.
इसरो के वैज्ञानिकों ने दो साल का कार्यकाल ख़त्म होने पर चंद्रयान-1 का भी कुछ ऐसा ही अंत सोच रखा था. लेकिन इसका अंत वक्त से पहले हो गया, जब यान का संपर्क टूट गया. इसरो के मुखिया माधवन नायर का कहना है कि चंद्रयान से वे सभी आंकड़े हासिल कर लिए गए हैं, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान को चाहिए थे. चंद्रयान-1 अपने आप में पहली तरह का मिशन था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय भागीदार भी शामिल हुए थे.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस जोशी