भारत के नौजवान कमजोर दिल
२२ अप्रैल २०११जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत के शहरी युवाओं के बीच मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इनकी वजह से आने वाले समय में दिल की बीमारी का खतरा उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकता है. भारत में इस सिलसिले में किये गये अध्ययन के साथ जुड़े कार्डियोलॉजिस्ट दोराइराज प्रभाकरन देश में तेज आर्थिक सामाजिक परिवर्तन और आबादी के ढांचे में हो रहे बदलाव को भी इसकी वजह मानते हैं.
इस सिलसिले में दिल्ली के 1100 युवाओं के बीच सात साल तक आंकड़े इकट्ठा किये गये और इस दौरान देखा गया कि तीनों समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. आमतौर पर पश्चिमी भोजन को इस सिलसिले में अस्वास्थ्यकर माना जाता है, लेकिन प्रभाकरन का कहना है कि पारंपरिक भारतीय भोजन में भी शक्कर और वसा की अधिकता पाई जाती है.
सात साल पहले जब आंकड़ें जमा किये जा रहे थे, तो इन युवाओं की औसत उम्र 29 साल थी. लगभग 50 फीसदी लोगों में मोटापे की समस्या पाई गई. इस बीच उनकी संख्या 70 फीसदी हो चुकी है. इसी प्रकार हाई ब्लड प्रेशर की समस्या पुरुषों के बीच 11 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी और महिलाओं में 5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी तक पहुंच चुकी है. महिलाओं और पुरुषों के बीच यह फर्क डायबिटीज के मामले में भी देखा जा सकता है. पुरुषों के बीच यह 5 से 12 फीसदी तक बढ़ी है, जबकि महिलाओं के बीच 3.5 फीसदी से 7 फीसदी तक.
सात साल की छोटी सी अवधि में ऐसे परिवर्तन के कारण वैज्ञानिकों का अनुमान है कि भारत में दिल की बीमारी विकट रूप ले सकती है. सारी दुनिया में दिल की बीमारी के 60 फीसदी मामले भारत में पाए जाते हैं, जो विश्व की आबादी में भारत के हिस्से से कहीं अधिक है.
इस समस्या से निपटने के लिए प्रभाकरन का सुझाव है कि तंबाकू पर बेहतर नियंत्रण के साथ साथ लोगों के लिये सस्ती कीमत पर फल और सब्जी मुहैया कराये जाएं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एन रंजन