भारत चीन की वजह से बढ़ रही है तेल की कीमत
२ मार्च २०१२चीन और भारत में गाड़ियों की बढ़ती बिक्री का हवाला देते हुए बराक ओबामा ने कहा है कि लोग अमीर हो रहे हैं, वे अमेरिकी लोगों की तरह ज्यादा कारें खरीद रहे हैं और इस वजह से तेल की कीमत बढ़ रही है. ओबामा ने घरेलू मोर्चे पर ऊर्जा के मुद्दे से निबटने के लिए कोई योजना तो नहीं रखी लेकिन उन्होंने तेल कंपनियों की सब्सिडी घटाने और साफ ऊर्जा के विकल्पों में ज्यादा निवेश करने की बात कही है.
हैम्पशायर में एक भाषण के दौरान ओबामा ने कहा, "लंबे समय से तेल की कीमतें बढ़ने की सबसे बड़ी वजह चीन, भारत और ब्राजील में इसकी मांग बढ़ना है." ओबामा हैम्पशायर के नाशुआ में ऊर्जा और गैस की कीमतों पर भाषण देने गए थे. गैस की कीमत चार डॉलर प्रति गैलन हो गई है और आम अमेरिकियों को यह चुभने लगा है. जानकारों का मानना है कि चुनावी साल में रिपब्लिकन पार्टी इस मुद्दे को अपने हक में इस्तेमाल कर ओबामा को हराने की फिराक में है जो चार साल और इस देश की बागडोर अपने हाथ में रखना चाहते हैं. उनके पास अपनी दलीलें हैं.
ओबामा ने कहा, "जरा सोच कर देखिए पिछले पांच सालों में चीन में दौड़ रही गाड़ियों की संख्या तिगुनी हो गई. 2010 में केवल चीन की सड़कों पर एक करोड़ कारें बढ़ गईं, एक करोड़ कार एक साल में एक देश में. तो यह हैं जो तेल इतना तेल इस्तेमाल कर रहे हैं." ओबामा का कहना है कि आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी.
बढ़ती कीमतों पर बोल रहे ओबामा ने अमेरिकी जनता को गैसोलीन की कीमतें घटाने के बारे में कोई भरोसा नहीं दिया. उन्होंने साफ कहा, "गैस की कीमतों को तुरंत घटाने का कोई उपाय नहीं है, मैंने अपने प्रशासन को हर उस उपाय की तलाश करने को कहा है जिससे कि हम लोगों की मुश्किलें हल कर सकें. सप्लाई की मुश्किलें दूर करना और सट्टेबाजों को इसका फायदा उठाने से रोकना भी इनमें शामिल है."
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि वो कांग्रेस से तेल उद्योग की सब्सिडी को खत्म करने के लिए कहेंगे जो फिलहाल चार अरब डॉलर है. ओबामा का कहना है, "कांग्रेस के हर सदस्य को बताना है कि आप या तो तेल कंपनियों के साथ खड़े हो सकते हैं या फिर अमेरिकी जनता के साथ. आप जीवाश्म ईंधन को टैक्स देने वालों का डॉलर एक सदी के लिए दे सकते हैं यहा भी साफ ऊर्जा के भविष्य के लिए अपनी भागीदारी दे सकते हैं."
अगले हफ्ते सुपर ट्यूजडे है. अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में इसका मतलब है कि ओबामा को चुनौती देने के लिए आपस में मुकाबला कर रहे रिपब्लिकन उम्मीदवारों को 1,144 वोटों की जरूरत है जो उन्हें अगस्त में होने वाले पार्टी के सम्मेलन तक जुटा लेने है. इनमें से 40 फीसदी अपना फैसला अगले मंगलवार तक सुना देंगे. ओबामा के प्रतिद्वंदियों में अब तक पांच राज्यों में जीत का परचम लहरा चुके मिट रोमनी सबसे आगे हैं. ओबामा ने इस साल के राष्ट्रपति चुनाव के लिए अब तक 13.6 करोड़ डॉलर की रकम जुटा ली है. इस तरह से वो मिट रोमनी को समर्थन दे रहे गुट के जमा किए 3.68 करोड़ डॉलर की रकम से बहुत आगे हैं.
हालांकि इसके बावजूद ओबामा की चुनौतियां कम नहीं हैं. बेरोजगारी, सुस्त अर्थव्यवस्था और महंगाई का मुद्दा उनके प्रशासन को हलकान कर रहा है. जानकार कह रहे हैं कि फिलहाल अमेरिकी जनता तकनीकी ब्यौरे में जाने की बजाय धारा, मुद्दों और चुनाव के नतीजों के असर पर ज्यादा ध्यान दे रही है.
रिपोर्टः पीटीआई, एएफपी/एन रंजन
संपादनः एम गोपालकृष्णन