भारत ने एयर नेविगेशन सिस्टम भी बनाया
१० अगस्त २०१०जीपीएस की मदद से तैयार किए गए इस सिस्टम को गगन नाम दिया गया है और मंगलवार को नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल इसे लॉन्च करेंगे. इस तकनीक का फायदा नागरिक उड्डयन क्षेत्र को तो मिलेगा ही, साथ ही समुद्री यातायात, खोज और बचाव अभियान, रेल और सड़क यातायात में भी इससे मदद मिलेगी.
अब तक सिर्फ अमेरिका, यूरोप और जापान के पास ही इस तरह की क्षमता है. गगन यूरोप के इगनोस (IGNOS) और जापान के एमसास(MSAS) नेविगेशन सिस्टम के बीच के अंतर को दूर करेगा और क्षेत्रीय सीमाओं के आरपार स्पष्ट हवाई नेविगेशन की सुविधा प्रदान करेगा.
इस सिस्टम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मिलकर तैयार किया है. यह सिस्टम सैटलाइट के आधार पर भारतीय विमान सूचना क्षेत्र कायम करेगा, जिससे दक्षिण पूर्व एशिया से लेकर खाड़ी और पश्चिमी एशियाई देशों के अलावा पूर्वीय तटीय अफ्रीकी देश भी जुड़े होंगे. यह सिस्टम 24 सैटलाइटों से मिलने वाली सूचना के आधार पर काम करेगा जो ऐसी छह कक्षाओं में स्थापित किए हैं जिनके केंद्र में धरती है.
गगन से हवाई यातायात को बहुत फायदा होने की उम्मीद है. इसकी मदद से विमान बिल्कुल सीधे रूट पर उड़ान भर सकेंगे. अभी विमान धरती पर लगे रडारों की मदद से उड़ान भरते हैं जो एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं. गगन की मदद से सीधे रूट तैयार हो सकेंगे क्योंकि वह सैटलाइटों पर आधारित होगा. इससे विमानों के ईंधन की बचत होगी. साथ ही विमानों की लैंडिंग में भी यह मददगार होगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह