भारत पहुंचा डिजिटल तलाक का वायरस
६ अप्रैल २०११भगवान को साक्षी मानकर, हमेशा जन्म जन्मान्तर साथ रहने की कसमे खाने वाले हजारों जोड़े आजकल फेसबुक, ट्विटर ऑरकुट और माई स्पेस जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स के चक्कर में पड़कर अपनी शादियां तुड़वा रहे हैं. फेसबुक पर मजाक में किया गया कमेंट या फिर मोबाइल फोन पर फिजूल का रोमैंटिक संदेश भी तलाक का कारण बन रहा है. ऐसा नहीं कि यह सिर्फ गोल्फ के सबसे बड़े सितारे टाइगर वुड्स के साथ हुआ है. आम आदमी भी इसका शिकार बन रहा है.
बंद करो फेसबुक
अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में एक पादरी सेड्रिक मिलर ने अपने चर्च में रविवार की प्रार्थना के समय लोगों से अपील की कि वह फेसबुक जैसी साइट्स से दूर रहें. मिलर का कहना है कि लोग इन साइट्स पर शरू तो हाय हलो से करते हैं लेकिन बात जल्दी ही आगे बढ़ जाती है और कई बार लोग बिना एक दूसरे को जाने भी मेसेज भेजते हैं. इसका पता उनके साथी को चलता है और फिर बस फिर शुरू हो जाता है रोज़ का झगडा, जिससे उनकी शादी तक खतरे में पड़ जाती है.
अमेरिका के वैवाहिक झगड़ों से संबंधित वकीलों की एक संस्था अमेरिकन अकादमी ऑफ मैट्रिमॉनियल लायर्स के एक सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत से भी ज्यादा तलाकों के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स ही ज़िम्मेदार हैं. करीब 15 प्रतिशत माई स्पेस और 5 प्रतिशत तलाक के मामलों के पीछे ट्विट्टर का हाथ है. अमेरिका के अलावा ब्रिटेन में भी सोशल नेटवर्किंग की वजह से तलाक के मामले तेज़ी पकड़ रहें हैं.
लेकिन ऐसा नहीं कि यह बीमारी सिर्फ अमेरिका या पश्चिम तक ही सीमित हो. इसका वायरस भारत भी पहुंच गया है और कई लोग इसकी चपेट में आ गए हैं.
भारत में भी वायरस
सुप्रीम कोर्ट के वकील और जाने माने साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल के अनुसार आजकल डिगिटल युग है और कई डिजिटल उपकरण हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा हैं. लेकिन जाने अनजाने इनका गलत इस्तमाल रिश्तों पर बुरा असर डाल रहा है. दुग्गल के मुताबिक ऐसे कई केस सामने आए हैं जहां किसी शादीशुदा पुरुष ने फेसबुक पर अपने स्कूल या कॉलेज के जमाने की दोस्त को ढूंढने के बाद मेसेज भेजना शुरू किया और फिर धीरे धीरे मिलना शुरू हो गया. कुछ मामलों में तो पुराना प्यार जग गया और जब तक वे संभल पाते, बहुत देर हो चुकी थी. बात कोर्ट में तलाक तक चली गई.
रहें सावधान
तलाक के कानून की वकील रेखा अग्रवाल के अनुसार अब होशियार रहने की जरूरत है. उनका कहना है कि अक्सर फेसबुक, ई मेल या मोबाइल फोन पर भेजे गए संदेशों को लोग गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन अब धयान रखना जरूरी है क्योंकि इस तरह के मेसेज को कोर्ट में सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है. भले ही ही आप ईमानदार हों, आपका साथी भी तो आपकी पीठ पीछे कहीं और जिन्दगी के मजे ले सकता है. ऐसे में अगर आपके पास उसकी फेसबुक, मोबाइल फोन या ईमेल पर कोई सुराग हाथ लगा है तो उसे गुस्से में नष्ट न करें. रेखा अग्रवाल के अनुसार उस मेसेज को कंप्यूटर में डाउनलोड करके उसका प्रिंट आउट लें और अगर आप अपने साथी के खिलाफ बेवफाई का केस करें तो उसे सबूत के रूप में पेश कर सकते हैं.
कई बार पत्नी के साथ मार पीट करने के बाद माफी के लिए भेजा गया एसएमएस भी न्यायलय में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है. वैसे अगर मार पीट न ही करें तो माफी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. तो, बस फेसबुक, ऑरकुट और ट्विटर को हल्के फुल्के मजाक और क्रिकेट के स्कोर तक ही सीमित रखें ताकि आपकी शादी सलामत रहे.
रिपोर्टः दिल्ली से नौरीस प्रीतम
संपादनः वी कुमार