भारत पाक रिश्तों का "नया अध्याय"
१० नवम्बर २०११परमाणु हथियारों से लैस एक दूसरे के चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्तों को दक्षिण एशिया में स्थिरता और शांति की कुंजी समझा जाता है. इससे अफगानिस्तान में तालिबान से जूझ रही अमेरिका समेत नाटो की सेनाओं को भी मदद मिलेगी.
मुलाकात के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा, "अगले दौर की बातचीत और ज्यादा सकारात्मक, और रचनात्मक होगी. इससे दोनों देशों के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ेगा." भारत और पाकिस्तान ने इसी साल शांति संवाद को बहाल किया है जो 2008 में मुंबई हमलों के बाद पटरी से उतर गया था.
गर्माते रिश्ते
हालांकि प्रगति की रफ्तार धीमी ही है लेकिन पिछले महीने उस वक्त रिश्तों में बेहतरी की ज्यादा उम्मीद जगी जब पाकिस्तान ने कहा कि वह भारत को व्यापार की दृष्टि से सर्वाधिक वरीयता वाले देश का दर्जा देगा. इससे पहले दोनों देशों के प्रधानमंत्री इसी साल भारत में वर्ल्ड कप क्रिकेट के एक मैच के दौरान मोहाली स्टेडियम में मिले थे.
बुधवार को भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने कहा कि दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी दूर हो रही है. लेकिन उन्होंने माना कि यह मुश्किल काम है और इसके लिए मीलों का सफर तय करना होगा. 2008 में सार्क शिखर सम्मेलन का माहौल काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले की वजह से खराब हो गया जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान के कुछ "तत्वों" को जिम्मेदार ठहराया.
भारत और पाकिस्तान के बीच इन दिनों रिश्तों में जटिलता की एक वजह अफगानिस्तान में अपने-अपने असर को बढ़ाने की होड़ भी है. भारत अफगानिस्तान में अपनी भूमिका का लगातार विस्तार कर रहा है. उसने पिछले 10 साल में अफगानिस्तान को 2 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता दी है. वहीं पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते असर से परेशान है. उसे यह बात पसंद नहीं कि उसका धुर प्रतिद्वंद्वी भारत उसके पिछवाड़े में ज्यादा सरगर्म हो.
ताकि प्रभावी बने सार्क
पिछले महीने अफगानिस्तान और भारत के बीच हुई रणनीतिक साझेदारी की संधि को भी पाकिस्तान में शक की नजर से देखा गया. अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के अलावा सार्क के अन्य सदस्यों बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के नेता भी इस शिखर बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.
अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को बढ़ावा देता रहा है. सार्क सम्मेलन की प्रगति का जायजा लेने के लिए दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक भी सम्मेलन में मौजूद रहेंगे. सार्क की अध्यक्षता संभालने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद कहते हैं कि वह चाहते हैं कि भारत और पकिस्तान को अपने मतभेद कम करने चाहिए ताकि सार्क प्रभावी बन सके. सार्क के आलोचक इसे अकसर बातचीत की बेअसर दुकान कहते हैं.
बेहतर हो कारोबारी माहौल
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने दक्षिण एशियाई नेताओं से कहा है कि वे अंतर-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए साजगार माहौल तैयार करें, ताकि उत्पादों के व्यापार समेत निवेश के लिए भी नए रास्ते खुलें. अगर दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार समझौते को उचित प्रकार से लागू किया जाता है तो दक्षिण एशिया सहयोग संगठन (सार्क) के सभी देश क्षेत्रीय समीकरणों का फायदा उठा कर और तेजी से आर्थिक वृद्धि सकते हैं.
सीआईआई ने सार्क नेताओं से अपील की है कि वे शुल्क के अलावा पेश आने वाली अन्य बाधाओं को दूर करें ताकि क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिल सके. बयान के मुताबिक दक्षिण एशिया में व्यापक आर्थिक एकीकरण न सिर्फ इस क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए और आकर्षक बनाएगा, बल्कि इससे अलग अलग देशों के बीच असमानताओं पर भी ध्यान दिया जा सके.
रिपोर्टः रॉयटर्स, पीटीआई, एएफपी/ए कुमार
संपादनः वी कुमार