भारत भी मंगल पर पहुंचने की तैयारी में
४ अगस्त २०१२दक्षिण पूर्वी इलाके के तटवर्ती शहर से एक रॉकेट इस यान को अंतरिक्ष तक ले जाएगा जिसके बाद उपग्रह मंगल की कक्षा में अपने लिए जगह बनाएगा. सरकार से हालांकि इस योजना को अंतिम मंजूरी नहीं मिल पाई है. नाम जाहिर न करने की शर्त पर एक भारतीय वैज्ञानिक ने यह जानकारी दी. भारतीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो के प्रवक्ता ने इस मिशन की पुष्टि तो नहीं की लेकिन भारत की अंतरिक्ष के लिए लक्ष्यों के बारे में बात की. इसरो के प्रवक्ता देवीप्रसाद कार्णिक ने कहा, "चांद के बाद पूरी दुनिया का ध्यान अब मंगल ग्रह पर रहने लायक जगह ढूंढने में है." इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनका उपग्रह मंगल ग्रह से 100 किलोमीटर ऊपर से कम की कक्षा में पहुंच जाएगा.
उम्मीद की जा रही है कि भारत सरकार जल्दी ही इस योजना को मंजूरी दे देगी. मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक इसरो के इस कार्यक्रम पर करीब 8 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा. इसरो के इस कार्यक्रम की आलोचना भी हो रही है. भारत अभी कुपोषण, ऊर्जा संकट और गरीबी से जूझ रहा है और ऐसे में इस तरह के बेहद खर्चीले कार्यक्रमों पर पैसा खर्च करना बहुत समझदारी का कदम नहीं माना जा रहा. हालांकि इसरो के पास अपनी दलीलें हैं. इसरो का कहना है कि उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम से होने वाला फायदा रोजमर्रा की जिंदगी को ही बेहतर बनाने के लिए है और इसमें वह सफल भी रहा है.
भारत ने अंतरिक्ष की खोजबीन करने का कार्यक्रम 1962 में शुरू किया था. चार साल पहले भारत के उपग्रह चंद्रयान ने चांद पर पानी की मौजूदगी का पा लगाया. भारत अब 2014 में चांद की धरती पर एक पहिए वाला खोजी यंत्र उतारने की तैयारी में जुटा है. उधर अमेरिका भी मंगल ग्रह पर नासा के तैयार किए एक विज्ञान प्रयोगशाला को मंगल ग्रह पर पहुंचा रहा है. करीब 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर की यह प्रयोगशाला सोमवार सुबह मंगल ग्रह पर पहुंच रही है. प्रयोगशाला के लिए अमेरिका ने वहां एक पहाड़ के बगल में जगह भी ढूंढी है जहां यह उम्मीद की जा रही है कि जीवन लायक वातावरण वहां मौजूद है. पिछले साल मंगल पर उपग्रह भेजने की चीन और रूस की एक संयुक्त कोशिश नाकाम हो गई थी.
एनआर/ एजेए (रॉयटर्स)