भारत में सबसे ज़्यादा बाल विवाह
७ अक्टूबर २००९मंगलवार को जारी यह रिपोर्ट कहती है कि भारत, नेपाल और पाकिस्तान में तो कई बच्चों की शादी या सगाई 10 साल की उम्र से पहले ही कर दी जाती है. करोड़ों बच्चों को नुक़सानदेह हालात में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. काम से इनकार करने पर उन्हें हिंसा और शोषण का सामना करना पड़ता है. इनमें से कई तो मानसिक बीमारियों के भी शिकार हो जाते हैं.
यूनिसेफ़ की कार्यकारी निदेशक एन वेनेमन कहती हैं, "कोई समाज कैसे फलफूल सकता है अगर उसके बच्चों को बाल विवाह और शारीरिक शोषण से गुज़रने के लिए मजबूर किया जाता है." रिपोर्ट कहती है कि साक्षरता के बढ़ते स्तर और बाल विवाह पर लगे प्रतिबंध के बावजूद भारत, नेपाल और पाकिस्तान में परपंरा और धार्मिक रीति रिवाज बाल विवाह को जारी रखे हुए हैं. जिन बच्चियों की छोटी उम्र में शादी हो जाती है उनमें आधी से भी ज़्यादा दक्षिण एशिया से हैं. आधे से ज़्यादा बच्चों के जन्म का पंजीकरण ही नहीं होता जिससे सरकारी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा उन तक नहीं पहुंच पाता.
2000 से 2008 के बीच अफ़गानिस्ता में कुल 6 प्रतिशत बच्चों के जन्म का रजिस्ट्रेशन कराया गया. बांग्लादेश में 10 प्रतिशत जन्मों का रजिस्ट्रेशन हुआ. भारत में यह आंकड़ा 41 प्रतिशत के आसपास है तो छोटे से देश मालदीव में 73 प्रतिशत बच्चों के जन्म को पंजीकृत कराया गया. दक्षिण एशिया में 4.4 करोड़ बच्चे बाल मज़दूरी करते हैं. इसमें से आधे बच्चे भारत में हैं.
दक्षिण एशिया में बहुत से बच्चे उग्रवाद, अस्थिरता और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं के भी शिकार पाए गए हैं. ख़ासकर अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका और नेपाल में जारी या फिर हाल ही में ख़त्म हुए संकटों का असर बच्चों पर बहुत ज़्यादा देखा गया है. मज़दूरी, वेश्यावृत्ति या घरेलू काम के लिए बच्चों की तस्करी भी एक बड़ी समस्या है.
रिपोर्टः एजेंसियां/तनुश्री सचदेव
संपादनः ए कुमार