भारत में समलैंगिकों के लिए बाजार और अधिकार
७ जून २०१०भारत में समलैंगिकों की दुखती भावनाओं और उनकी भारी जेब देखते हुए इंडिया पिंक नाम की एक ट्रेवल कंपनी ने नई योजनाएं ही बना डाली हैं. कंपनी समलैंगिकों के साथ दोस्ताना ढंग से बातचीत कर सकने वाले टैक्सी ड्राइवर और होटल मैनेजर ढूंढ रही है. मकसद समलैंगिकों के लिए एक ऐसा सहज माहौल उपलब्ध कराने की है, जहां उनकी खिल्ली न उड़ाई जाए.
इंडिया पिंक के मालिक संजय मल्होत्रा कहते हैं, ''हमने समलैंगिक पर्यटकों की जरूरतें पता की है. हमने ऐसे लोगों को रखा है जो समलैंगिकों के यौन जीवन के बारे में जानते हैं. हम चाहते हैं जब हमारे समलैंगिक पर्यटक घूमे तो उन्हें किसी किस्म के भेदभाव का डर न सताए.''
मल्होत्रा मानते हैं कि समलैंगिक पुरुष लाइफ स्टाइल प्रोडक्टस पर काफी पैसा खर्च करते हैं. कंपनियां चाह रही हैं यह पैसा उनकी झोली में आए. यही वजह से कि बड़े शहरों में अब समलैंगिकों की ज़रूरत के हिसाब से होटल, रेस्तरां और क्लब खुलने लगे हैं. ग्राहकों की जानकारियां गोपनीय रखने का दावा करने वाली कंपनियों के मुताबिक ज्यादातर ग्राहक इंटरनेट के जरिए उनकी सुविधाएं लेते हैं.
दिल्ली में समलैंगिको के लिए सैलून चलाने वाले यशवेंद्र सिंह का कहना है, ''मुझे खुशी है कि पार्टियों, पर्यटन और व्यवसायीकरण समलैंगिकों के अधिकारों को सामने लाने में मदद कर रहे हैं.'' सिंह खुद समलैंगिकों के लिए नए सैलून खोले जाने के योजनाओं में मदद देते हैं.
भारत में समलैंगिकता को कानूनी मान्यता है. दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते साल ऐतिहासिक फैसले में कह चुका है कि ब्रिटिश काल से ही समलैंगिकता पर प्रतिबंध लगाना असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है. लेकिन हिंदू, इस्लाम, ईसाई और अन्य धर्मों के बड़े नेता समलैंगिकता का विरोध करते रहे हैं.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य