भारत में स्टेम सेल का बाज़ार सौ करोड़
१७ नवम्बर २००९कई सालों से देश में इस विषय के बारे में न तो लोगों को कुछ मालूम था और न ही कहीं इसकी चर्चा थी लेकिन आज़ भारत में स्टेम सेल का प्रचलन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि देश में इसका व्यापार सौ करोड़ से भी उपर पहुंच गया है. भारत में स्टेम सेल बैकिंग के ज़रिए देश के ज्यादा से ज़्यादा लोग अपने बच्चे के नाभिनाल को लोग बैंकों में जमा करने लगे हैं जिसे बॉयो इंश्योरेंस कहा जाता है. इतना ही नहीं इस बॉयो इंश्योरेंस के लिए वे महंगी कीमत देने को भी तैयार हैं.
माता पिता अपने बच्चों के नाभिनाल को बैंक में सुरक्षित रखते हैं ताकि भविष्य में परिवार के किसी व्यक्ति को आनुवांशिक रोग के होने पर उसका इलाज़ इस सेल के ज़रिए किया जा सके. भविष्य में खुद और परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए लोगों में शिशु के नाभिनाल को बैंको में जमा कर रखने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. इस वज़ह से देश और विदेश में स्टेम सेल बैंकों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
स्टेम सेल थेरेपी
शिशु के गर्भनाल के रक्त की मेडिकल की दुनिया में सालों से कोई उपयोगिता नहीं थी और इसे बेकार समझ कर फेंक दिया जाता था लेकिन बाद में शिशु नाल के रक्त से शोध के लिए स्टेम सेल लिए जाने लगे.
स्टेम सेल का उपयोग अब कई आनुवांशिक रोगों सहित ल्युकेमिया, हर्ट अटैक, खून संचार में दोषों, हड्डी और कोशिकाओं और त्वचासंबंधी कई रोगों में इलाज़ के लिए किया जाता है. स्टेम सेल थेरेपी से मस्तिष्क के गंभीर रोगों का इलाज किया जा सकता है और इस इलाज में दर्द अपेक्षाकृत कम होता है. मरीज़ की क्षतिग्रस्त ऊतकों यानि टिशु में नई कोशिकाएं इंजेक्शन के ज़रिए डाली जाती है. स्टेम सेल बैंक से स्टेम सेल के इलाज़ के लिए आम तौर पर 60 से 80, हज़ार रूपए ख़र्च करने पड़ते हैं.
बढ़ा बाज़ार
छह सालों से भी कम समय में स्टेम सेल थेरेपी के बढ़ते फ़ायदों की वजह दुनिया भर में स्टेम सेल्स का बाज़ार बढ़ा है. 2010 तक स्टेम सेल का वैश्विक बाज़ार 4.5 अरब डॉलर होने की संभावना है. बताया जाता है कि केवल उत्तरी अमेरिका में में 33, यूरोप में 10, एशिया पैसिफिक देशों में 15 स्टेम सेल के मुख्य केंद्र हैं जहां कंपनियां स्टेम सेल का संग्रह करतीं हैं.
रिपोर्ट : एजेंसियां/ सरिता झा
संपादन: आभा मोंढे