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भारत हारा लेकिन अच्छा खेला

११ जनवरी २०११

27 साल बाद एशिया कप में पहुंची भारतीय फुटबॉल की शुरुआत टूर्नामेंट में हार से हुई. बेहद मजबूत मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत को 4-0 से हरा दिया. लेकिन इस हार में भी भारत की जीत और संघर्ष की कहानी छुपी है.

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मुकाबले से पहले ही ऑस्ट्रेलिया को शेर और भारत को मेमना कहा जा रहा था. ऑस्ट्रेलियाई टीम छोटी और कमजोर टीमों के खिलाफ गोलों की झड़ी लगाने के लिए कुख्यात है. लेकिन टीम ने इस भ्रम को काफी हद तक तोड़ा. भारत भले ही कोई गोल नहीं कर पाया लेकिन उसने ऑस्ट्रेलिया को चार से ज्यादा गोल करने भी नहीं दिए. टीम भले ही हार गई लेकिन उसे स्टेडियम में मौजूद भारतीय प्रशंसकों की खूब वाहवाही मिली.

भारत के अंजाने खिलाड़ियों के आगे कंगारू टीम पूरी ताकत से उतरी. टिम काहिल समेत उसके नौ खिलाड़ी ऐसे थे जो वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा रहे. हिल ने 11वें मिनट में पहला गोल दागा और उसके 14 मिनट बाद हैरी कैवल ने ऑस्ट्रेलिया की बढ़त को 2-0 कर दिया. तीसरा गोल ब्रेट होलमन ने किया जबकि सेंकड हाफ में काहिल ने फिर गोल दाग कर अपनी ताकत का अहसास कराया. इस तरह ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी लगातार भारतीय गोल पोस्ट के आस पास मंडराते रहे लेकिन गौरमणांगी सिंह, अनवर, सुरकुमार सिंह और दीपक मंडल ने डिफेंस में बढ़िया खेल दिया.

अपने स्टार खिलाड़ी और कप्तान बाईचुंग भूटिया के बिना 142वीं रैंकिंग की टीम ने 26वीं रैंकिंग वाली कंगारू ब्रिगेड को बांधे रखा. हालांकि कभी कभार गोल करने के मौके भारत को भी मिले. लेकिन सुनील छेत्री और मोहम्मद राफी इन मौकों को नहीं भुना पाए. भारत को अब आगे 14 जनवरी को बेहरीन से भिड़ना है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन