भारतीय मजिस्ट्रेट की गवाही चाहता है पाकिस्तान
९ अगस्त २०१०पाकिस्तान में इस सिलसिले में सात आरोपियों पर मुकदमा चल रहा है. इनकी सुनवाई जज मोहम्मद अकरम आवान कर रहे हैं. वकीलों ने उन्हीं की अदालत में याचिका दायर कर भारतीय मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी से पूछताछ की अपील की है. जिन सात लोगों पर मुकदमा चल रहा है, उनमें लश्कर ए तैयबा के कमांडर जकी उर रहमान लकवी भी शामिल है.
पाकिस्तान इससे पहले भारत से अपील कर चुका है कि वह मुंबई के आतंकवादी हमलों में बचे एकमात्र आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की गवाही रिकॉर्ड करने वाले मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आरवी सावंत वाघुले और जांच कर रहे पुलिस अधिकारी रमेश महाले को रावलपिंडी की आतंकवाद विरोधी अदालत में गवाही के लिए भेजे. भारत साफ कर चुका है कि दोनों को पाकिस्तान की अदालत में भेजना मुमकिन नहीं है लेकिन वीडियो कांफ्रेंसिंग से उनकी गवाही हो सकती है.
पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक कह चुके हैं कि दोनों भारतीय अधिकारियों की गवाही कानूनी लिहाज से बहुत जरूरी है और इसके बाद सात पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो सकती है. जानकारों का भी मानना है कि दोनों अफसरों की गवाही जरूरी है क्योंकि अभी तक का मामला सिर्फ अजमल कसाब की गवाही से ही तय हो रहा है.
पाकिस्तान में जो वकील इन सातों आरोपियों की तरफ से वकालत कर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकारी वकील सिर्फ मामले को लटकाने की कोशिश कर रहे हैं और वे इस अर्जी के खिलाफ अपील करेंगे. इस बीच जज आवान ने लकवी की जमानत याचिका को टाल दिया है. अब मुंबई के आतंकवादी हमले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होनी है और उसी दिन लकवी की जमानत याचिका पर विचार किया जाएगा.
लकवी और उसके छह साथियों पर आरोप है कि उन्होंने नवंबर, 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमलों की साजिश रची. लगभग तीन दिन चले इस हमले में 166 लोग मारे गए. भारत पहले दिन से कहता रहा है कि हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई.
कुल 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते भारतीय जमीन पर पहुंचे और उन्होंने मुंबई में कई जगहों पर गोलीबारी शुरू कर दी. इस हमले में शामिल एक आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को जिन्दा पकड़ लिया गया. कसाब के पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि हो चुकी है और उसे मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. बाकी के नौ आतंकवादियों के शवों पर आज तक किसी ने दावा नहीं किया है और उनका अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा सका है क्योंकि मुंबई के कब्रिस्तानों ने उन्हें जगह देने से इनकार कर दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः आभा एम