भारतीय है तो बेहतर है
११ जून २०१०पशु कल्याण संगठन पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल इंडिया (पेटा) ने एक चेतावनी जारी की है जिसमें कहा गया है कि सबसे लोकप्रिय विदेशी नस्लों के कुत्तों में कई बीमारियां और विकार होने का खतरा रहता है.
संगठन के मुताबिक आमतौर पर बिकने वाले पग, ग्रेट डेन, बॉक्सर, पॉमेरेनियन को मुंह के पिछले हिस्से या दिल के बड़ा होने, एलर्जी, दांतों की परेशानी सहित कई अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
लेकिन सड़कों पर दिखाई देने वाले भारतीय नस्ल के कुत्तों की प्रतिरोधक क्षमता इन बीमारियों को पास फटकने भी नहीं देती. पेटा संगठन की माधुरी देशमुख ने बताया कि, "कुत्ता पालने के इच्छुक लोगों से हमारी अपील है कि अगर वे सबसे बढ़िया नस्ल का कुत्ता चुनना चाहते हैं तो आम भारतीय नस्ल के कुत्ते को ही चुनें."
पेटा ने कुछ ही दिन पहले प्राउड टू बी इंडियन के नाम से अपना प्रचार अभियान शुरू किया है जिसमें फिल्मकार प्रीतिश नंदी भी हिस्सा ले रहे हैं. इस अभियान के जरिए लोगों से आवारा कुत्तों को अपनाने की अपील की जा रही है. इन दिनों विदेशी नस्लों के कुत्तों के लिए दुनिया भर में जबरदस्त मांग है. दिल्ली में विदेशी नस्ल के कुत्ते खासतौर पर लोकप्रिय हैं और पग नस्ल का नाम इनमें सबसे ऊपर है.
पालतू कुत्तों की दुकान चलाने वाले नरेश कोहली कहते हैं कि विदेशी नस्ल के कुत्ते खासे मंहगे हैं. जेट ब्लैक पग 18-20 हजार रुपये में आता है जबकि जर्मन शेपर्ड की कीमत लगभग 8 हजार है. वैसे दुकानदार भी मानते हैं कि विदेशी नस्ल के कुत्ते जल्द बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. कोहली के मुताबिक रूस से मंगाए जाने वाले कुत्तों के साथ परेशानी होती है. इनमें सबसे बड़ी परेशानी मौसम के अभ्यस्त न होने से होती है.
पश्चिमी दिल्ली में दुकानदार करन महेंद्रू बताती हैं कि कुत्तों से प्यार करने वाले कुछ लोग इस बात को समझते हैं इसलिए आवारा कुत्तों की भी मांग है.
करन का कहना है कि वैक्सीनेशन के बाद वह आवारा कुत्तों को मुफ्त में ही ग्राहकों को दे देती हैं. दिल्ली में पशुओं के डॉक्टर राहुल वर्मा बताते हैं कि भारत में आवारा कुत्ते विदेशी नस्लों के कुत्तों से कहीं मजबूत और ताकतवर होते हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा