भूंकप के बाद अपनी धुरी से खिसकी धरती
१३ मार्च २०११अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे के वैज्ञानिक केनेथ हडनट ने बताया, "हम जानते हैं कि जापान का एक द्वीप करीब 2.4 मीटर खिसक गया है. हमने जापान में जियोस्पेटियल इनफर्मेशन अथॉरिटी का नक्शा देखा. इसमें बड़े हिस्से में खिसकाव देखा गया. यह धरती के अपनी जगह के हिलने को दिखाता है."
सीएनएन टीवी चैनल से बातचीत के दौरान हडनट ने यह बताया. इटली के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड वोल्केनोलॉजी के निदेशक एंटोनियो पीयरसांटी ने कहा कि शुरुआती शोध में पता लगा है कि शुक्रवार को आए 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण धरती अपनी धुरी पर करीब 10 सेंटीमीटर खिसक गई है.
जापान में आए इस भूकंप का पृथ्वी की धुरी पर गहरा असर पड़ा है. यह प्रभाव 2004 में इंडोनेशिया में आए भूकंप से भी ज्यादा है. संस्थान के निदेशक ने बताया कि 1960 में चिली में आए भूंकप के बाद यह भूकंप शक्तिशाली रहा.
2010 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने कहा कि चिली में 8.8 की तीव्रता वाले भूकंप का प्रभाव इतना ज्यादा था कि इससे दिन के छोटे हो जाने की संभावना जताई गई.
कैलिफोर्निया में अंतरिक्ष एजेंसी के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी वैज्ञानिक रिचर्ड ग्रोस ने कंप्यूटर मॉडल की मदद से बताया कि भूकंप के कारण धरती अपनी धुरी से करीब 10 सेंटीमीटर खिसकी है.
धरती का द्रव्यमान जिस धुरी पर संतुलित है उसमें बदलाव होने पर धरती के अपनी धुरी पर घूमने के समय में अंतर आता है. चिली के भूकंप के बाद कहा गया कि हर दिन करीब 1.26 माइक्रोसेकंड छोटा हो गया है. माइक्रोसेंकड मतलब हर सेकंड का दस लाखवां हिस्सा.
ग्रोस के मुताबिक चिली के भूकंप के बाद हुए असर जैसा ही इस भूकंप का असर भी हो सकता है. जहां पर भूकंप का केंद्र था और उसकी फॉल्ट लाइन थी उसके कारण धुरी में बदलाव आने की पूरी संभावना है.
2004 के भूकंप और उस कारण दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व में आई सुनामी ने धरती की घूमने की गति को अपने आप बढ़ा दिया और दिन को तीन माइक्रोसेकंड छोटा कर दिया.
जापान प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर इलाके में है जहां भूगर्भीय गतिविधियां बहुत तेज हैं इस कारण भूकंप और ज्वालामुखी आम हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़