भ्रष्टाचार से निपट रहे हैं: मनमोहन
२९ मई २०११इथोपिया और तंजानिया के छह दिवसीय दौरे से लौटते हुए मनमोहन सिंह ने अपने विशेष विमान में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी सरकार उन तमाम नए विचारों का समर्थन करती है जिनसे भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार को खत्म करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार से सब लोग चिंतित हैं. कुछ भूलें हुई हैं जो सामने आई हैं. हम भ्रष्टाचार से निपटने की अपनी कोशिशों में बेहद ईमानदार हैं." प्रधानमंत्री भारत में हुए हालिया 2जी स्पेक्ट्रम और कॉमनवेल्थ घोटाले से जुड़े सवालों के जवाब दे रहे थे.
प्रधानमंत्री ने अच्छे शासन की राह में गठबंधन राजनीति की मजबूरियों से पड़ने वाली अड़चनों के बारे में कहा कि सरकार का बुनियादी लक्ष्य आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को बनाए रखना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश हर साल 9 से 10 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़े. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आर्थिक वृद्धि का फायदा सबको मिले.
मनमोहन सिंह ने कहा, "हम युवाओं के सशक्तिकरण के लिए वचनबद्ध हैं. उन्हें रोजगार से जुड़ी ऐसी दक्षताएं देना चाहते है कि कहीं पर भी वे नौकरी के अवसरों को हासिल कर सकें." उन्होंने बताया कि सरकार ग्रामीण प्रगति और कृषि विकास में भी निवेश बढ़ा रही है. ये सभी सरकार की प्राथमिकताएं हैं जो बदली नहीं हैं.
8.5 प्रतिशत वृद्धि दर
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रहेगी. उन्होंने कहा, "अभी तक मुझे ऐसे कोई संकेत नहीं दिखते कि हमें 8.5 प्रतिशत वृद्धि दर बनाए रखने को लेकर अपनी सोच बदलनी चाहिए. मुझे विश्वास है कि हम इस साल 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को बरकरार रखेंगे."
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना क्रेडिट पॉलिसी में वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. 2010-11 में देश की वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत रही. देश में कृषि की स्थिति और महंगाई पर मनमोहन सिंह ने कहा, "अभी तक मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान है और अगर मॉनसून सामान्य रहा तो हम खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाएंगे." अप्रैल में मुद्रास्फीति 8.66 प्रतिशत रही जो रिजर्व बैंक के 5-6 प्रतिशत के आरामदायक स्तर से कहीं ज्यादा है.
समय लगेगा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के प्रमुख पद को लेकर चल रही खींचतान के बीच मनमोहन सिंह ने कहा कि बराबरी के आधार वाली विश्व व्यवस्था को कायम होने में समय लगेगा क्योंकि अमीर देश अपनी शक्ति को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. मनमोहन सिंह ने कहा, "जिनके पास ताकत है, वे उसे छोड़ना नहीं चाहते. बेहतर, संतुलित और अधिक बराबरी वाली दुनिया के लिए संघर्ष जारी है जिनमें आईएमएफ, विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे विश्व संस्थान भी शामिल हैं. इसमें बहुत समय लगेगा."
आईएमएफ के मुखिया डोमेनिक स्ट्रॉस कान को पिछले दिनों एक सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. मनमोहन सिंह ने उम्मीद जताई कि सर्वसम्मति से नया मुखिया चुना जाएगा और भारत इस बारे में अन्य देशों के संपर्क में है. उन्होंने कहा कि यूरोप किसी यूरोपीय व्यक्ति को इस पद पर बिठाना चाहता है ताकि यूरोजोन में चल रहे संकट से सही तरीके से निपटा जाए. लेकिन भारत समेत उभरते हुए देश नए प्रमुख के चुनाव में पारदर्शिता पर जोर दे रहे हैं. यूरोप ने इस पद के लिए फ्रांस की वित्त मंत्री किस्टीने लगार्द को उम्मीदवार बनाया है.
सबक लें वामपंथी
हाल में पश्चिम बंगाल और केरल विधानसभा चुनावों में वामपंथियों की हार पर मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्हें इससे सबक लेना होगा. प्रधानमंत्री के मुताबिक, देखिए, "मैं राजनीति का विशेषज्ञ नहीं हूं. केरल और पश्चिम बंगाल के लोगों ने अपना फैसला दिया है. इससे वामपंथी पार्टियों को सबक लेना होगा."
पश्चिम बंगाल में 34 साल से राज कर रहे वामपंथियों को ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले गठबंधन से सत्ता से बाहर किया है. वहीं दक्षिणी राज्य केरल में वामंथियों के नेतृत्व वाले एलडीएफ को कांग्रेस के नेतृत्व यूडीएफ के हाथों का सत्ता गंवानी पड़ी है.
रहस्य बरकरार
मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल पर रहस्य बरकार रखा है. उन्होंने कहा, "जब मैं भारत पहुंच जाऊंगा तो विचार करूंगा." जब इस मुद्दे पर जोर दिया गया तो उन्होंने कहा कि वह मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर प्रेस कांफ्रेस में चर्चा नहीं कर सकते. पिछली बार जनवरी में मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ. तब किसी मंत्री को तो नहीं हटाया गया, लेकिन काफी मंत्रियों के मंत्रालय बदले गए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम