मंगल पर जीवन !
२२ अगस्त २०११ऑस्ट्रेलिया में मिले सूक्ष्म जीवाश्मों से इस बात को समर्थन मिला है कि मंगल ग्रह पर जीवन संभव है. ऑस्ट्रेलिया में पाए गए इन जीवाश्मों से यह बात सामने आई है कि 3.4 अरब साल पहले पृथ्वी पर ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते थे जिसमें ऑक्सीजन नहीं थी और इससे इस आशा को मजबूती मिली है कि मंगल ग्रह पर जीवन मौजूद है.
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि प्राचीन तलछटी चट्टानों में स्थित सूक्ष्म कीटाणुओं के जीवाश्मों से इस बात की पुष्टि हुई है कि वे अभी तक पाए गए सबसे पुराने जीवाश्म हैं. इसे लेकर लगभग एक दशक तक बहस होती रही.
जीवाश्म के नमूने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पिलबरा इलाके स्थित स्ट्रेली पूल से पाए गए. यहां सूक्ष्म कीटाणु मरने के बाद स्फटिक कणों के बीच सुरक्षित हो गए थे. वर्ष 2002 में इसी क्षेत्र में मात्र 35 किलोमीटर दूर काम करने वाले वैज्ञानिकों के एक अन्य दल को बैक्टीरिया जीवाश्म मिले. लेकिन इस दावे को कुछ वैज्ञानिकों ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ये बैक्टीरिया के जीवाश्म नहीं बल्कि पत्थरों के खनिजीकरण का नतीजा है.
वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये बैक्टीरिया जीवित रहने के लिए गंधक यौगिकों पर निर्भर रहते थे. ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करने वाले डेविड वासी का कहना है, "आखिरकार हमारे पास ऐसे ठोस सबूत हैं जो यह साबित करते हैं कि 3.4 अरब साल पहले जीवन मौजूद था. यह सुनिश्चित करता है कि तब बैक्टीरिया हुआ करते थे जो बिना ऑक्सीजन के जिंदा रहते थे."
पानी होने के संकेत
पिछले दिनों नासा ने दावा किया था कि मंगल ग्रह पर बहते पानी के संकेत मिले हैं. इस संकेत के बाद मंगल पर जीवन होने की संभावना और बढ़ गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि मंग्रल ग्रह की पहाड़ियों से ली गई ताजा तस्वीरें इस बात का सबसे बड़ा सबूत हैं. मंगल ग्रह की इन तस्वीरों में जगह-जगह लंबी गाढ़ी रेखाएं नजर आ रही हैं, जो असल में बहती हुई धाराएं हो सकती हैं. ये धाराएं कुछ मीटर तक चौड़ी हैं और पत्थरों के बीच से गुजरती हुई मैदानी सतह पर बहती दिख रही हैं.
अगर मंगल पर पानी मौजूद है, तो संभव है कि गर्मियों में उसमें जीवाणु भी पनपते हों. हालांकि ये धाराएं सिर्फ गर्मियों में ही दिखीं और ठंडे मौसम में गायब हो गईं. वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद ये धाराएं मिट्टी और गारे की बनी हो सकती हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां / आमिर अंसारी
संपादन: ए कुमार