"मंत्रियों को धोखेबाज कहने में गलत क्या है"
८ जून २०११दिल्ली में राजघाट पर अनशन के दौरान केजरीवाल ने सभी राजनीतिक दलों के सामने मांग रखी कि सिविल सोसाइटी के सदस्यों की तरह उन्हें पांच साल की आमदनी और खर्चों का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए. जन लोकपाल बिल समिति में शामिल सदस्य अपनी संपत्ति की घोषणा कर चुके हैं. मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने नाराजगी जताई थी कि सिविल सोसाइटी के सदस्य मंत्रियों को झूठे और धोखेबाज कह रहे हैं.
सिब्बल को जवाब देते हुए केजरीवाल ने कहा, "अगर हमने ऐसा कह दिया तो इसमें क्या गलत किया. इतना भ्रष्टाचार फैला है. क्या यह धोखाधड़ी नहीं है. अगर हमारे साथ धोखा हो रहा है तो क्या हम उन्हें झूठे न कहें. हम उन्हें साजिश करने वाला क्यों न कहें. शांति भूषण के खिलाफ सीडी मामले में हमने देखा कि किस तरह से फर्जी सीडी तैयार करने की साजिश रची गई."
अरविंद केजरीवाल ने जब सिब्बल का नाम लिया तो राजघाट पर बैठे लोगों में रोष उभार पर आ गया और उन्होंने सिब्बल के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. लोगों को शांत करने के लिए अन्ना हजारे को दखल देनी पड़ी और महात्मा गांधी के सिद्धांतों की याद दिलानी पड़ी.
कपिल सिब्बल कह चुके हैं कि सिविल सोसाइटी के सदस्यों में मतभेद हैं. इस पर केजरीवाल ने कहा कि संसद में भी विभिन्न दलों में मतभेद देखने को मिलते हैं लेकिन यही सांसद वेतन बढ़ाने के मु्द्दे पर एकजुट हो जाते हैं.
केजरीवाल ने कहा पिछले पांच सालों में राजनीतिक दलों ने जितना भी चंदा लिया है और रैली का बंदोबस्त करने में उनका जितना खर्चा हुआ है उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए. केजरीवाल का कहना है कि सरकार पीएम, सांसद, न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे से बाहर रखना चाहती है और अगर ऐसा हुआ तो फिर बिल में कुछ नहीं बचेगा. भ्रष्टाचार के विरूद्ध आंदोलन के सांप्रदायिक होने की आशंकाओं पर केजरीवाल ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह लोकपाल समिति से हट जाएंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल