महिला दिवस पर ऑस्कर में इतिहास
९ मार्च २०१०कोडक स्टूडियो की हसीन शाम और लाल क़ालीन को हर साल इंतज़ार रहता है परियों सी परिधान में सजी सिने तारिकाओं का. रुपहले, सुनहरे लिबास में लिपटी सुंदरियां हर साल इस क़ालीन की शोभा बढ़ाती हैं लेकिन सबसे ऊपर की सीढ़ी पर चढ़ना उन्हें नसीब न था.
लेकिन इस साल ऑस्कर ने इतिहास रचा, जब धरती का सबसे बड़ा फ़िल्म पुरस्कार एक महिला को मिला. कैथरीन बिगेलो को और भला इस ख़ूबसूरत लम्हे के लिए आठ मार्च से बेहतर दिन क्या हो सकता था. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस.
बिगेलो की पहचान तो बरसों पहले ही लवलेस और नीयर डार्क जैसी फ़िल्मों के साथ बन गई थी लेकिन फ़िल्मी दुनिया ने उन्हें मानने में पूरे 32 साल लगा दिए और ऑस्कर को इस मंज़िल तक पहुंचने में लग गए पूरे 82 साल.
लॉस एजेंलिस के कोडक थियेटर ने पहले भी बहुत बार इतिहास बनते देखा है लेकिन अबकी बार की उपलब्धि कोई मामूली नहीं थी. बिगेलो के लिए चुनौती पहाड़ से भी बड़ी थी. उनके मुक़ाबले पूरी दुनिया में सराही जा रही फ़िल्म अवतार थी और चौबीस घंटे पहले तक बड़े बड़े फ़िल्मी पंडित भी पानी पी पी कर अवतार को ऑस्कर की सबसे कामयाब होती फ़िल्म बता रहे थे.
बिगेलो की मामूली बजट की फ़िल्म द हर्ट लॉकर को सैकड़ों करोड़ डॉलर की लागत पर बनी फ़िल्म अवतार से टक्कर लेनी थी और उससे भी बड़ी टक्कर थी अपने पूर्व पति जेम्स कैमरून से. कैमरून यानी अवतार के निर्देशक. बारह साल पहले जब कैमरून ने टाइटैनिक पर सवार होकर सारे ऑस्कर बटोर लिए थे, तो उन्हें किंग ऑफ़ द वर्ल्ड कहा गया. इसके बाद अवतार आई और तकनीक के मामले में उसने नई इबारतें लिखीं. इस 3डी फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद से ही पूरी दुनिया में इसकी चर्चा शुरू हो गई और दो तीन महीने में ही इसने ढाई अरब डॉलर का कारोबार ठोक दिया
गोल्डन ग्लोब में अवतार छाई रही और कैमरून ने दोनों हाथों से पुरस्कार बटोरे. बिगेलो सिर्फ़ एक पुरस्कार के लिए नामांकित हुईं और वह भी उन्हें नहीं मिल पाया. इसके बावजूद बिगेलो की फ़िल्म को ऑस्कर में शानदार कामयाबी मिली. कैमरून को परे धकेलते और फ़िल्मी पंडितों को अंगूठा दिखाते बिगेलो ने छह पुरस्कारों पर कब्ज़ा जमाया, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन पर भी. यह पहला मौक़ा है, जब किसी महिला को ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिया गया है.
पेंटर और लाइब्रेरियन मां बाप की बेटी बिगेलो ने कभी पेंटर बनने का सपना संजोया लेकिन जल्द ही रुपहले पर्दे से आकर्षित हो गईं. फ़िल्मों की बाक़ायदा पढ़ाई की और 1978 में द सेट अप जैसी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म के साथ सपनों की दुनिया में दस्तक दे दी. फिर लवलेस भी आई, नीयर डार्क भी और ब्लू स्टील भी. चर्चा हर फ़िल्म की हुई लेकिन कामयाबी की यह मंज़िल नहीं मिल पाई.
इसी बीच बिगेलो ने 1989 में मशहूर फ़िल्म निर्देशक जेम्स कैमरून से सगाई कर ली, जो दो साल से ज़्यादा नहीं टिक पाई. कला के क्षेत्र के दो महारथियों में नहीं बन पाई. बिगेलो ने फ़िल्मों पर ध्यान बढ़ा दिया और नए प्रयोग करने लगीं.
आख़िरकार वह दिन आ ही गया, जब उन्होंने इराक़ युद्ध पर फ़िल्म बनाई द हर्ट लॉकर. बिगेलो ने फ़िल्म के लिए कितनी मेहनत की, यह बात झलकती है कि इस बात से कहानी लिखने का ज़िम्मा मार्क बोल को दिया गया, जो ख़ुद पत्रकार हैं और इराक़ में काम कर चुके हैं. यह एक थ्रिलर फ़िल्म है, जिसमें बम निरोधी दस्ते की कहानी है और इसके पीछे कहीं न कहीं छिपी है इराक़ में युद्ध की पीड़ा. फ़िल्म को इराक़ के आस पास ही जॉर्डन में फ़िल्माया गया और 2008 में फ़िल्म बन कर तैयार हो गई.
द हर्ट लॉकर तकनीकी तौर पर दो साल पहले ही वेनिस फ़िल्म समारोह में रिलीज़ हुई लेकिन अमेरिका में यह पिछले साल जून में ही प्रदर्शित की गई. कनाडा और अमेरिका के अंदर कई जगहों पर उनकी प्रशंसा हुई और फिर फ़िल्मों के सबसे बड़े सम्मान ऑस्कर ने बिगेलो को इस फ़िल्म के लिए सम्मान दिया.
अनवर जे अशरफ़ (संपादन: एस गौड़)