मारन की तरफदारी करते करुणानिधि
८ जुलाई २०११चेन्नई में जब करुणानिधि से पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी केंद्रीय कपड़ा मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले मारन का साथ देगी तो उन्होंने कहा, "हां". मारन 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले डीएमके के दूसरे मंत्री हैं. इससे पहले संचार मंत्री के पद से ए राजा की छुट्टी हो चुकी है.
करुणानिधि ने कहा कि मारन अपना ख्याल खुद रखेंगे. मारन पर आरोप है कि उन्होंने 2006 में संचार मंत्री रहते हुए एयरसेल कंपनी के मालिक सी सिवासंकरन पर दबाव डाला कि वह अपनी कंपनी मलेशिया की एक कंपनी को बेच दें. करुणानिधि ने मीडिया की तीखी आलोचना करते हुए कहा, "पूरी दुनिया में और खास कर भारत जैसे देश में मीडिया का राज चलता है. वह किसी की छवि भी खराब कर सकता है. दयानिधि मारन भी अपवाद नहीं है."
जब करुणानिधि से पूछा गया कि क्या मारन के इस्तीफे से पहले यूपीए गठबंधन से किसी व्यक्ति उसने संपर्क किया तो उन्होंने कहा, नहीं. डीएमके के कर्ताधर्ता करुणानिधि ने कहा, "मैंने कल रात (यूपीए की अध्यक्ष) सोनिया गांधी से बात नहीं की." जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मारन के विषय में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा तो हक्के बक्के करुणानिधि ने कहा, "यह आपकी कल्पना है."
इस बीच 2जी मामले पर संयुक्त संसदीय समिति को गुरुवार को वित्त और संचार मंत्रालय के आला अधिकारियों ने बताया कि संचार मंत्री रहते मारन ने 2006 में मंत्रियों के समूह में स्पेक्ट्रम के मूल्य पर चर्चा नहीं होने दी. जेपीसी के सामने आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन ने कहा कि 2006 में वित्त मंत्रालय ने सुझाव दिया कि दूरसंचार पर मंत्रियों के समूह को स्पेक्ट्रम का मूल्य निर्धारित करना चाहिए और इस बारे में मंत्रियों के समूह में चर्चा होनी चाहिए. बाद पत्रकारों से बातचीत में जेपीसी के अध्यक्ष पीसी चाकू ने बताया कि मारन वित्त मंत्रालय के सुझावों पर सहमत नहीं हुए क्योंकि उन्हें लगता था कि स्पेक्ट्रम का मूल्य तय करना उसे देख रहे मंत्रालय का विशेषाधिकार है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह