मिंस्क के बाद भी अविश्वास
१२ फ़रवरी २०१५मिंस्क में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और रूस, फ्रांस और यूक्रेन के राष्ट्रपति पुतिन, ओलांद और पोरोशेंको की यूक्रेन वार्ता भले ही रात भर चली लंबी चर्चा के बाद खत्म हुई हो, लेकिन इसके बाद भी बहुत सी बातें साफ नहीं हुईं. सबसे पहले तो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने वार्ता खत्म होने के बाद एक छोटी सी प्रेस कॉन्फरेंस में इस बात की घोषणा की कि 15 फरवरी से पूर्वी यूक्रेन में युद्ध विराम पर सहमति बन गयी है. बाद में जर्मन चांसलर मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ने भी इसकी पुष्टि की.
पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष और हत्याओं का खत्म होना बेशक एक सुखद नतीजा है. लेकिन मौजूदा समझौते पर जितनी कम जानकारी दी गयी है, उसके मद्देनजर अविश्वास का माहौल पैदा होता है. हो सकता है कि यह नया समझौता पिछली बार सितंबर 2014 में मिंस्क में हुए समझौते से ज्यादा कुछ भी ना हो. वहां भी युद्ध विराम की और भारी हथियारों को हटाने की बात कही गयी थी. लेकिन युद्ध विराम के फैसले पर कभी भी पूरी तरह अमल नहीं किया गया था. इस बीच रूस से सहायता प्राप्त करने वाले विद्रोही कई जगहों को अपने कब्जे में लेने में कामयाब रहे हैं. संघर्ष का केंद्र है डोनेत्स्क शहर का डेबाल्तसेवे जंक्शन जिसे अलगाववादियों ने कथित रूप से घेरा हुआ है. लेकिन जाहिर तौर पर यूक्रेन की सेना बिना लड़े इसे उनके हाथों में नहीं सौंप देगी.
इसलिए समझौते की इतनी कम जानकारी को देखते हुए इस ओर शक पैदा होता है कि 15 फरवरी की निर्धारित तारीख से क्या सच में युद्ध विराम का पालन किया जाएगा. क्योंकि आखिरकार सच्चाई यह है कि युद्ध विराम का कोई भी समझौता तभी सफल हो पाता है, जब संघर्ष से जुड़े दोनों ही पक्षों पर कोई स्वतंत्र रूप से नजर रख सके और इस बात का ध्यान रखे कि वे हथियार त्याग दें. नहीं तो सैन्य संघर्ष के बरकरार रहने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद और जर्मन चांसलर मैर्केल ब्रसेल्स में होने वाले यूरोपीय संघ के शिखर सम्मलेन में यूरोप के अन्य देश प्रमुखों से पुतिन और पोरोशेंको के साथ हुए समझौते के मुख्य बिंदुओं को साझा करेंगे. अगर यह शक यकीन में तब्दील हो जाता है कि मिंस्क में हुआ यह समझौता भी खून खराबे को नहीं रोक पाया है, तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लंबी राजनयिक प्रक्रिया के बाद भी एक बार फिर से अन्य प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन को हथियार मुहैया कराने के मुद्दों पर चर्चा शुरू करनी होगी.