मिलावट से बचने के लिए महंगा भी चलता है
३० दिसम्बर २०१७दिल्ली के कुछ इलाकों में रविवार की सुबह ऑर्गेनिक सामान वाला किसानों का बाजार लगने लगा है. बेचने वालों का कहना है कि इन सब्जियों को उगाने में किसी भी प्रकार के रसायन और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. दिल्ली के उच्च मध्यम वर्गीय लोग इन बाजारों में खरीदार हैं जो दोगुनी कीमत पर भी चीजें खरीदने के लिए तैयार हैं.
यहां खरीदारी करने आई एक महिला ने कहा, "मैं चाहती हूं कि बहुत ज्यादा पैसा खर्च ना करूं, क्योंकि ये (सब्जियां) हमारा हक हैं. दूसरी ओर मुझे लगता है कि रसायनों का असर ऐसा होता है कि बाद में आपको अपनी सेहत पर ज्यादा खर्च करना पड़ता है." खरीदारी करने आए एक पुरुष ग्राहक ने कहा, "इस वक्त अपने शरीर के लिए अच्छे उत्पाद खरीदने का यही एक तरीका है, क्योंकि बाकी सब किसी ना किसी तरह दूषित हैं या फिर रसायनों से भरे हैं."
खरीदारी करने वालों में कुछ लोग इसलिए भी आए है क्योंकि वे ऑर्गनिक चीजें ही खाना चाहते हैं. एक शख्स ने कहा, "पश्चिमी देश ऑर्गेनिक फूड की तरफ बढ़ रहे हैं, तो फिर हमें भी उसी तरह जीएमओ के बजाए ऑर्गेनिक की तरफ जाना चाहिए."
कंपनी बेच कर किसान बन गए
हर्ष लोहित ऑर्गेनिक खेती करते हैं. सात साल पहले तक वे दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते थे. फिर ऑर्गेनिक खेती की धुन सवार हुई और कंपनी बेच कर किसान बन गए. कहते हैं कि इसमें उन्हें मुनाफे की तो उम्मीद नहीं थी लेकिन खेती बाड़ी में रसायनों के इस्तेमाल से वे इतने परेशान थे कि कुछ बदलाव लाना चाहते थे. हर्ष ने कहा, "जमीन के अंदर उसकी जान नहीं बची है, इसका मतलब यह हुआ कि आपके पास ऐसी फसल तो है, जो देखने में अच्छी लगती है लेकिन इंसानों को जिन पोषक तत्वों की जरूरत है, वे उसमें हैं ही नहीं." हर्ष को उम्मीद है कि आने वाले समय में ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए सरकार की ओर से ज्यादा सहायता मिलेगी.
इस बीच ऑर्गेनिक खेती शहरों का एक ट्रेंड बन गयी है. कई स्टार्ट अप कंपनियां भी खुल गयी हैं. शहरों में इसकी कितनी मांग है, इसका अंदाजा "आई से ऑर्गेनिक" कंपनी के गोदाम में जा कर लग सकता है. यह कंपनी इंटरनेट पर ऑर्डर लेती है और दस हजार घरों तक सामान पहुंचा रही है. तरह तरह के फल और सब्जी, कुल मिला कर इनके पास 200 चीजें हैं.
अश्मित कपूर ने 2011 में इस कंपनी की शुरुआत की. इस बीच उनके पास 50 कर्मचारी हैं. इनकी सबसे बड़ी चुनौती इस बात को जांचना है कि ऑर्गेनिक किसान जो वादा करते हैं, उसे पूरा भी करते हैं या नहीं. फल सब्जियों की क्वॉलिटी में ही इस सवाल का जवाब छिपा है. अश्मित बताते हैं, "सर्टिफिकेशन तो है लेकिन हम अपने खुद के क्वॉलिटी चेक भी करते हैं. हम किसानों और उनके उत्पादों को खुद भी परखते हैं." अश्मित बाजार में अन्य ऑर्गेनिक प्रोडक्ट भी लाना चाहते हैं, जैसे कि ऑर्गेनिक ब्रेड. उन्हें उम्मीद है की इस तरह वे नये ग्राहकों के दिल जीत सकेंगे.
कात्या केपनर/आईबी