मिस्बाह के माथे हार का ठीकरा
३१ मार्च २०११पाकिस्तान की क्रिकेट प्रेमी जनता भारत के हाथों मिली हार से काफी मायूस है. इस्लामाबाद में बड़े पर्दे पर मैच देख रहे लोग टीम को हारते देख बीच में ही मैच छोड़ कर चल दिए. पाकिस्तान के प्रदर्शन से नाराज अवाइस शाकिर ने कहा, "हम मिस्बाह की वजह से हार गए क्योंकि उन्होंने तब रन नहीं बनाए जब जरूरत थी. वह केवल पिच पर खड़े रह कर वक्त बर्बाद करते रहे."
पाकिस्तान के दूसरे शहरों में भी लोग मिस्बाह की धीमी पारी को हार की वजह मान रहे हैं. मिस्बाह ने 76 गेंदों में 56 रन बनाए लेकिन आखिरी वक्त में उनका बल्ला ज्यादा चला. पहले वो संभल संभल कर खेलते रहे इसका नतीजा ये हुआ कि आखिर में गेंदें खत्म हो गई और रन पूरे नहीं हो सके. वैसे क्रिकेट के जानकार ये भी कह रहे हैं कि अगर मिस्बाह ने अपना विकेट बचा कर नहीं रखा हो तो शायद पाकिस्तान की पारी पहले भी सिमट सकती थी.
मुश्किल ये थी कि भारत के गेंदबाजों ने बेहद कसी गेंदबाजी की और फिल्डिंग में भी कोई चूक नहीं होने दी. गेंदबाजों की कसावट का अंदाजा इस बात से भी लग सकता है कि पाकिस्तान को अतिरिक्त के रूप में पहला रन 37वें ओवर में मिला यानी तब तक भारत की तरफ से न तो कोई वाइड हुआ न नो बॉल.
वैसे मिस्बाह ने एक गलती तेंदुलकर का कैच छोड़ कर भी की. सचिन को चार बार जीवनदान मिला. एक एक कैच मिस्बाह और युनुस खान ने छोड़े जबकि तीसरा कैच उमर अकमल के हाथों से छूटा. इतना ही नहीं उमर के भाई कामरान एक बार सचिन को स्टंप करने का मौका भी गंवा बैठे.
कराची में रहने वाले इंजीनियर मोहम्मद अली कहते हैं,"ये एक शानदार मुकाबला था और ये भारत का दिन था, हालांकि मिस्बाह औऱ यूनुस खान ने बहुत आलस दिखाया."
यही खेल उन्होंने पहले दिखाया होता तो शायद नतीजा कुछ और होता. हालांकि ऐसे लोग भी कम नहीं है जो इस हार को बस खेल का हिस्सा मान रहे हैं. स्कूल टीचर हजरत अली हार से दुखी तो हैं लेकिन कहते हैं,"हार जीत खेल का हिस्सा होता है और खेल यहीं खत्म नहीं हो गया. अगली बार हमारी टीम जीत जाएगी."
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एमजी