मिस्र में तनाव को बहाना न बनाए इस्राएलः मैर्केल
२ फ़रवरी २०११मिस्र में मंगलवार को मार्च ऑफ मिनियंस का आयोजन किया गया जिसमें लाखों लोगों ने राष्ट्रपति होस्नी मुबारक से तुरंत पद छोड़ने को कहा. बढ़ते दबाव के बीच मुबारक ने भी सितंबर में पद से हटने की बात कही है. लेकिन मिस्र में हालत अस्थिर होने से इस्राएल और फलीस्तीन के बीच मध्यस्थता करने वाला और कोई देश नहीं है. मैर्केल ने कहा कि इस्राएलियों और फलीस्तीनियों को फिर से शांतिवार्ता शुरू करने की कोशिश करनी होगी. मिस्र में परेशानियों का बहाना बना कर मध्यपूर्व के हालात भगवान भरोसे नहीं छोड़े जा सकते. जर्मन चांसलर ने कहा कि जर्मनी इस प्रक्रिया का केवल समर्थन कर सकता है और इसमें मदद कर सकता है.
इस्राएल में विपक्ष की नेता त्सिपी लिवनी ने मैर्केल की मांग का समर्थन किया है जिसमें जर्मन चांसलर ने पश्चिम तट में यहूदी बस्तियों के निर्माण को रोकने की बात कही. लिवनी ने कहा कि अगर फलीस्तीनी इलाकों में बस्तियां बनती रहेंगी, तो इस्राएल की कोई भी सरकार इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाएगी.
इससे पहले मंगलवार को मैर्केल से मुलाकात में इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने बस्तियों के निर्माण पर आलोचना को खारिज किया और शांतिवार्ता में गतिरोध के लिए फलिस्तीनी पक्ष को दोषी ठहराया. मंगलवार को मैर्केल ने इस्राएली राष्ट्रपति शिमोन पेरेत्स से भी मुलाकात की. उन्होंने मैर्केल को इस्राएल की सच्ची और ईमानदार दोस्त बताया. इस्राएली राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि फलीस्तीन के मामले में द्विपक्षीय वार्ताएं काफी नहीं हैं. उन्होंने पूरे इलाके में गरीबी खत्म करने की जरूरत पर भी जोर दिया.
मैर्केल सहित जर्मन सरकार के मंत्री और अधिकारी इस्राएल के दौरे पर हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच अपराध और आतंकवाद संबंधी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. इस्राएल और जर्मनी अक्षय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर भी काम करना चाहते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः ए कुमार