मुबारक का इस्तीफा ओबामा की चुनौती
१२ फ़रवरी २०११मिस्र में 18 दिन चले विरोध प्रदर्शनों के दौरान अमेरिका का रवैया दोहरा रहा है. एक तरफ तो ओबामा ने लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों का समर्थन किया और लोगों की इच्छाओं का सम्मान करने को कहा. दूसरी तरफ, यह भी साफ दिखा कि अमेरिका अपने लंबे समय के सहयोगी मुबारक की निंदा से भी बचता रहा. ओबामा ने बार बार यही कहा कि सत्ता का हस्तांतरण व्यवस्थित तरीके से होना चाहिए. लेकिन अब जबकि सत्ता का हस्तांतरण हो चुका है तो उनके सामने पूरे अरब जगत में राजनीतिक सुधारों पर अपनी राय बनाने की चुनौती होगी.
अरब जगत के दोस्त
ओबामा ने अपने भाषण में मिस्र की सत्ता संभालने वाले सैन्य शासन से कहा कि देश में जल्द से जल्द लोकतंत्र स्थापित किया जाए. लेकिन उनकी समस्या यह है कि तेल समृद्ध अरब जगत में कई देशों में जो निरंकुश सरकारें राज कर रही हैं वे अमेरिका की सहयोगी हैं. ट्यूनिशिया और मिस्र में लोगों की क्रांति को मिली सफलता का असर उनके खिलाफ नजर आता है तो ओबामा प्रशासन को मुश्किल फैसले करने पड़ सकते हैं.
मिस्र की सेना पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर है और अमेरिकी अधिकारी चाहेंगे कि उनके ये संबंध और मजबूत हों. व्हाइट हाउस प्रवक्ता टोमी विएटर ने कहा, "राष्ट्रपति को ओवल ऑफिस में एक बैठक के दौरान मुबारक के इस्तीफा देने की खबर दी गई. उसके बाद वह कई मिनटों तक टीवी पर काहिरा के माहौल को देखते रहे." अमेरिकी अधिकारी कहते रहे हैं कि मिस्र में अनिश्चितता का एक लंबा दौर चल सकता है.
व्हाइट हाउस के अनौपचारिक सलाहकार और सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस में मध्य पूर्व के विशेषज्ञ ब्रायन काटुलिस कहते हैं, "यह ओबामा के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उनका प्रशासन कहता रहा है कि बदलाव होना चाहिए. लेकिन अभी तो प्रक्रिया की शुरुआत भर है. यह एक बहुत लंबी प्रक्रिया होगी जिसमें सत्ता को लेकर लेनदेन होगा. विपक्ष की एकता तो मुबारक को हटाने में थी. अब असली काम शुरू होगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः उभ