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मेमोगेट मामले में सफाई देने इस्लामाबाद आए हक्कानी

२० नवम्बर २०११

अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी मेमोगेट विवाद में अपना पक्ष रखने इस्लामाबाद आए हैं. उनकी राष्ट्रपति से रविवार को किसी वक्त मुलाकात हो सकती है. उधर आईएसआई चीफ ने लंदन में मंसूर इजाज़ से मुलाकात की है.

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हुसैन हक्कानीतस्वीर: AP

विवाद उस गुप्त मेमो से जुड़ा है जो कथित तौर पर पाकिस्तान की सरकार ने अमेरिका के पूर्व सेना प्रमुख माइक मुलेन को भेजा था. पाकिस्तानी राजदूत हक्कानी कतर होते हुए रविवार की सुबह 2 बजे इस्लामाबाद पहुंचे. एयरपोर्ट पर मौजूद मीडियाकर्मियों से बिना कुछ कहे ही हक्कानी वहां से निकल गए.

मेमोगेट विवाद के नाम से मशहूर हुए इस मामले के केंद्र में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी हैं. पिछले महीने एक पाकिस्तानी अमेरिकी कारोबारी हुसैन एजाज ने दावा किया कि इस साल मई में तत्कालीन अमेरिकी सेना प्रमुख माइक मुलेन को एक गुप्त मेमो दिया गया था. इसमें पाकिस्तानी सरकार ने अमेरिका से संभावित सैन्य तख्तपलट की स्थिति में मदद की मांग की थी. एजाज का दावा है कि यह मेमो हक्कानी के निर्देश पर तैयार किया गया. हक्कानी ने मामले को ठंडा करने के लिए इस्तीफा देने की पेशकश की है और उनका यह भी कहना है कि इस मेमो को तैयार करने या भेजने में उनकी कोई भूमिका नहीं है.

Pakistan Ashfaq Parvez Kayani
सेना और आईएसआई की आंखों में चुभते हक्कानीतस्वीर: dapd

वॉशिंगटन से इस्लामाबाद के लिए रवाना होने से पहले हक्कानी ने डॉन अखबार से कहा कि वो पाकिस्तान की संसदीय कमेटी के सामने पेश होंगे जिसकी अध्यक्षता एक धार्मिक विद्वान कर रहे हैं और जो सांसद भी हैं. हक्कानी ने कहा कि यह पैनल इस मामले की पूरी जांच करेगा और तथ्यों को सामने लाएगा. हक्कानी के मुताबिक वो कमेटी से इस मामले की भी जांच करने को कहेंगे कि क्यों, "एक संदिग्ध व्यक्ति के बयान को इतनी तूल दी गई." पाकिस्तानी राजदूत के मुताबिक इस विवाद के पीछे लोकतंत्र के दुश्मन हैं जो, "इस मामले का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को मिटाना चाहते हैं."

पाकिस्तानी के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने हक्कानी से इस्लामाबाद आ कर सफाई देने को कहा था. ऐसी खबरें हैं कि सेना हक्कानी को पद से हटाने के लिए सरकार पर दबाव बना रही है. हक्कानी, जरदारी के करीबी हैं और पाकिस्तान और अमेरिका के बीच आए तनाव के दौरान दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने में उनकी बड़ी भूमिका रही है. हालांकि लोकतंत्र की पक्ष में रहने के कारण हक्कानी हमेशा सेना के निशाने पर रहे हैं. इस्लामाबाद के लिए रवाना होने से पहले हक्कानी ने पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष राजदूत मार्क ग्रॉसमैन से भी मुलाकात की. 35 मिनट तक चली मुलाकात के बाद ग्रॉसमैन ने कहा कि उन्होने यह मेमो सार्वजनिक रूप से जारी होने के बाद ही पहली बार देखा है.

उधर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा ने लंदन में पाकिस्तानी अमेरिकी कारोबारी मंसूर एजाज से मुलाकात की है. शुजा पाशा मंसूर इन दावों की पुष्टि करना चाहते हैं कि मेमो को अमेरिकी अधिकारियों तक पहुंचाने में एजाज ने मदद की थी. द न्यूज अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, "एजाज के लगाए आरोपों की संवेदनशीलता को देखते हुए पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों ने फैसला किया है कि शुरुआती जांच आईएसआई प्रमुख खुद करें." एजाज ने इस बात की पुष्टि भी की है कि 22 अक्टूबर को लंदन में उनसे शुजा पाशा ने मुलाकात की थी.

एजाज ने इससे पहले यह भी बताया था कि जिस पाकिस्तानी अधिकारी ने उनसे मेमो का ड्राफ्ट तैयार करने को कहा था उस के साथ उनके संपर्क के सारे सबूत पाकिस्तानी अधिकारियों को दे दिए गए हैं. इनमें फोन कॉल्स के रिकॉर्ड, एसएमएस संदेश, ब्लैकबेरी के संदेश और ईमेल शामिल हैं. अब तक मिल रही खबरों के मुताबिक 22 अक्टूबर को एजाज ने शुजा पाशा से लंदन के पार्क लेन इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में मुलाकात की थी. दोनों की मुलाकात करीब 2 घंटे तक चली और इस दौरान एजाज से उनके दावों पर काफी पूछताछ की गई.

पाशा को मिली जानकारियों और दस्तावेजों की सत्यता की जांच करने के बाद उन्हें सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी को सौंपा गया. इसके बाद कियानी ने राष्ट्रपति जरदारी से मुलाकात की. जरदारी और कयानी की मुलाकात के बाद राष्ट्रपति के कार्यालय ने हुसैन हक्कानी को इस्लामाबाद आकर अपनी स्थिती साफ करने को कहा.

रिपोर्टः एएफपी,पीटीआई/ एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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