1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कैलाश खेर की खरी आवाज ने लाखों दिलों पर निशान छोड़े हैं.

२० नवम्बर २०११

कैलाश खेर की खरी आवाज ने लाखों दिलों पर अपने निशान छोड़े हैं और आज उनकी कामयाबी दूसरों के लिए मिसाल है पर क्या कोई सोच सकता है कि यही कैलाश कभी अपनी नाकामी से तंग आकर जान देने जा रहे थे.

https://p.dw.com/p/13Dur
तस्वीर: AP

कैलाश के पास पिछले कुछ सालों के चंद बेहद हिट गाने और एक खनकती चटक आवाज का जादू है और यह जादू फिलहाल संगीत की दुनिया के सिर चढ़ कर बोल रहा है. पर बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि कैलाश कारोबार में बुरी तरह से पिटने के बाद गायकी की दुनिया में आए. कारोबार में मिली हार ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया था और तब वो किसी तरह आखिरी उम्मीद का सिरा पकड़ कर मायानगरी पहुंचे.

कैलाश बताते हैं, "गायकी का दौर शुरू होने से पहले मैं कारोबारी था. एक ऐसा वक्त आया जब सब कुछ गलत होता चला गया और मेरे पास कुछ नहीं बचा. मैं अपना जीवन खत्म कर लेना चाहता था." पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. कैलाश के मुताबिक, "मेरे दोस्तों और भगवान ने मेरी मदद की, इसी की वजह से आज जो मेरे पास है मैं वह सब हासिल कर सका. इस तरह से 'अल्लाह के बंदे' गाना तैयार हुआ जिसने मेरा जीवन पूरी तरह से बदल दिया. इतनी मुश्किलें आईं थी और मैंने नहीं सोचा था कि मैं कभी खुशहाल जिंदगी फिर हासिल कर सकूंगा."

अल्लाह के बंदे के बाद तेरी दीवानी, तौबा तौबा और या रब्बा ने कैलाश को कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया. पॉप और रॉग गायक के रूप में करियर की शुरूआत कर कैलाश जल्दी ही सूफी गायक के रूप में मशहूर हो गए. कैलाश सूफी संगीत के बारे में बताते हैं, "सूफी कोई गायकी की विधा नहीं है यह तो ईश्वर के बारे में इंसान के सोचने की प्रक्रिया है. जब मैने गाना शुरू किया तब मैं सूफी संगीत के बारे में कुछ नहीं जानता था. मेरे संगीत पर कबीर के दोहों का असर है. समय बीतने के साथ लोग इसे सूफी कहने लगे और मुझे भी यह बुरा नहीं लगता."

दिल्ली में पले बढ़े कैलाश अब भारतीय फिल्म संगीत की दुनिया में बड़ा नाम बन गए हैं पर शहर से जुड़ी बचपन की यादें मन के किसी कोने में जड़ें जमाए बैठी हैं. कैलाश की खरी आवाज उन्हें दूसरे गायकों से बिल्कुल अलग ला कर खड़ा करती है और इस आवाज ने अब लोगों के दिल में और संगीत की दुनिया में अपने लिए अलग मुकाम बना ली है.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें