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मैं कोई भगवान नहीं: सचिन

१६ नवम्बर २००९

क्रिकेट चाहने वाले और कुछ खिलाड़ी भले ही सचिन तेंदुलकर को 'भगवान' का दर्जा देते हों, लेकिन ख़ुद मास्टर ब्लास्टर का कहना है कि वह कोई भगवान नहीं हैं, बस भारत के लिए खेलने से उन्हें बेहद प्रेम है.

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भारत की ओर से खेलने में गर्व महसूस होता हैतस्वीर: Fotoagentur UNI

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल पूरा करने के बाद भारत ही नहीं, क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल क्रिकेटरों में एक सचिन तेंदुलकर का कहना है, "मुझे बहुत ख़ुशी होती है कि बहुत से लोग मेरे करियर से प्रेरणा लेते हैं. लेकिन मैं कोई भगवान नहीं हूं. मुझे तो बस भारत के लिए खेलने से प्यार है."

भारत के ओपनिंग बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग का कहना है कि सचिन तेंदुलकर सिर्फ़ क्रिकेट की महान शख़्सियत नहीं हैं, बल्कि वह तो 'क्रिकेट के भगवान' हैं. सिर्फ़ सहवाग ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज़ मैथ्यू हेडन ने भी एक बार कहा था, "उन्होंने भगवान को देखा है, वह भारत के लिए नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करता है."

Indischer Cricketspieler Sachin Tendulkar
प्रशंसकों के लिए भगवान हैं सचिनतस्वीर: AP

लेकिन तेंदुलकर का कहना है कि वह तो सिर्फ़ एक क्रिकेटर हैं, जिन्हें मानवता और लोगों से बेशुमार प्यार मिला है. सचिन का कहना है, "मैं तो सिर्फ़ एक इनसान हूं. लेकिन मेरे पीछे एक विशाल शक्ति है. एक बड़ी टीम है. मेरे टीम के साथी, मेरा परिवार, मेरे बच्चे, दोस्त और मेरे प्रशंसक. जब मैं बैटिंग के लिए जाता हूं, तो उन्हीं के लिए खेलता हूं."

मौजूदा दौर के सबसे बड़े क्रिकेटर ने भारत के एक निजी टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में माना कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतने लंबे वक्त तक खेलते रहेंगे. सचिन ने कहा, "मैंने नहीं सोचा था कि मैं अपने देश के लिए इतने लंबे वक्त तक खेलता रहूंगा. लेकिन सभी जगहों से मिले प्यार का शुक्रिया कि मैं 20 साल तक ऐसा कर पाया."

अपने 20 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में सचिन ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं. लेकिन ख़ुद उनका मानना है कि दो बार उन्होंने ऐसा सोचा कि उनका करियर ख़त्म हो गया है. उन्होंने कहा कि उन्हें तो लगा कि पहला मैच ही उनका आख़िरी मैच होगा. सचिन का कहना है, "जब पहले मैच में मैंने 15 रन बनाए तो मुझे लगा कि पता नहीं मुझे फिर चांस मिलेगा या नहीं. लेकिन मुझे दूसरे मैच में खेलने का मौक़ा मिला और मैंने 58 या 59 रन बनाए. तब मुझे राहत मिली."

तेंदुलकर ने कहा, "दूसरी बार जब मुझे चोटिल था. जब मुझे टेनिस एल्बो हो गया था. ऑपरेशन से पहले मैं रातों को सो नहीं पाता था. मैं क्रिकेट की गेंद को हिट नहीं कर पाता था. मुझे लगा कि मेरा करियर ख़त्म हो गया." मास्टर ब्लास्टर पिछले साल इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपने 140 रन की पारी को बेमिसाल पारियों में शामिल करते हैं क्योंकि यह मुंबई के आतंकवादी हमलों के बाद की पारी थी. इसके अलावा 1991 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 119 रन की पारी को भी बेहद क़ीमती मानते हैं.

वह कहते हैं, "मैं कहूंगा कि पर्थ की मेरी पारी मेरी सबसे अच्छी पारियों में थी. लेकिन चेन्नई में जो मैंने 140 रन बनाए, वह किसी भी पारी से बेहतर थे क्योंकि इससे ठीक पहले मुंबई में ख़ौफ़नाक हादसा हुआ था. कई लोगों ने अपने क़रीबियों को खो दिया था और इसकी भरपाई किसी चीज़ से नहीं हो सकती. लेकिन उस जीत से हमने लोगों का ध्यान पल भर के लिए ही सही, दूसरी तरफ़ आकर्षित किया था."

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एस गौड़