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मोटे बच्चों का वजन ऐसे घटा रहा है जर्मनी

७ अक्टूबर २०१७

जर्मनी में बहुत से लोग स्वस्थ खाना पसंद करते हैं. लेकिन बहुत से फास्ट फूड पसंद करते है. इसकी वजह से मोटापा बढ़ रहा है. अब एक अस्पताल संतुलित आहार और खेलकूद की मदद से बच्चों में मोटापा कम करने की कोशिश कर रहा है.

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Chinas fetteste Kind
फोटो प्रतीकात्मक हैतस्वीर: picture alliance/dpa/Z. Tian

11 साल के अलेखांद्रो का वजन लगभग 86 किलो है. एक किशोर के लिए ये वजन न सिर्फ बहुत ही ज्यादा है बल्कि उसके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा भी है. उसकी समस्या यह है कि वह वही चीजें खाता है जो उसे बहुत पसंद है. आलेखांद्रों अपनी पसंदीदा चीजों के बारे में कहता है, "सफेद चॉकलेट, चिप्स, जेली बेबी, आइसक्रीम. मैं वजन कम करना चाहता हूं, लेकिन मुश्किल है."

जर्मनी में ओवरवेट की समस्या बढ़ रही है. खासकर मर्दों में आधी आबादी का वजन ज्यादा है. जर्मन पोषण सोसायटी डीएसई के एक सर्वे के अनुसार रिटायर होते समय 74 प्रतिशत मर्द मोटे होते हैं. औरतों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. 56 प्रतिशत महिलाएं मोटापे का शिकार हैं. डीएसई के अनुसार उम्र के हर वर्ग में मर्दों में मोटापे की समस्या औरतों से ज्यादा है. बॉडी मास इंडेक्स में 25 प्वाइंट से ज्यादा वाले लोगों को मोटा माना जाता है.

जर्मनी में मोटापे की समस्या की ओर यूरोपीय सांख्यिकी कार्यालय यूरोस्टैट ने भी ध्यान दिलाया है. बच्चों और किशोरों में भी 20 प्रतिशत मोटे हैं. मोटापे की समस्या पर काम करने वाले डॉ. क्रिस्टियान फाल्केनबैर्ग बताते हैं, "1980 और 1990 के दशक की तुलना में ज्यादा वजन वाले बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत बढ़ गयी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन तो अब महामारी की बात करने लगा है."

अच्छी बात यह है कि बच्चों में मोटा होने की दर कम हुई है. इसके लिए बड़े पैमाने पर संतुलित आहार लेने के लिए अभियान चलाये गये हैं. साथ ही चिकित्सा बीमा कंपनियों ने संतुलित आहार और वजन कम रखने के लिए खेल के लिए विभिन्न पहलकदमियों को वित्तीय मदद भी दी है.

जर्मनी के आमरुन द्वीप पर एक क्लीनिक में डॉक्टर और थेरेपिस्ट लोगों का वजन घटाने के प्रयास में जुटे हैं. डायट के बदले उनका जोर संतुलित खाने और कसरत पर है. जैसे कि यान का वजन चार हफ्ते पहले 90 किलो था. उसके साथी अपने अपने घरों में गणित का अभ्यास कर रहे हैं, लेकिन यान यहां क्लीनिक में सही तरीके से खाना सीख रहा है. यान कहता है, "घर पर हम ज्यादातर नूडल खाते हैं. स्पागेटी बोलोन्या, कार्बोनारा अक्सर मैं बहुत ज्यादा खा लेता हूं. फिर वजन तेजी से बढ़ता है. जल्द ही मैं बहुत मोटा हो गया."

17 साल के यान को अभी भी हर खाने का इंतजार रहता है, लेकिन उसने भूख से निबटना सीख लिया है. यान ने बताया, "पहले तीन दिन मुझे हमेशा भूख का अहसास रहता था. अब मेरा पेट छोटा हो गया है. उसमें बहुत ज्यादा खाना नहीं जाता." यान को विशेषज्ञों की निगरानी में खाने की ट्रेनिंग मिली. उसके लिए सूप की छोटी प्लेट और छोटा चम्मच लाया गया. इसके साथ ही यान को निराशा की स्थिति में खाने की आदत से बचना सीखना होगा.

यान की ट्रेनर स्वेन्या बोन बताती हैं, "हम बच्चों को वह सिखाने की कोशिश करते हैं जो वे रोजमर्रा में कर सकें. ताकि वे फैसला कर सकें कि वे क्या खाना चाहते हैं. ये बात मनोविज्ञान के दायरे में आती है कि वे कह सकें कि बहुत खा लिया, अब मुझे नहीं खाना. ताकि उन्हें फिर से भूख और पेट भरने का अहसास हो."

अब यान को पता है कि कितना खाना उसके लिए जरूरी और पर्याप्त है. मुट्ठी बराबर मीट और मुट्ठी भर सब्जियां. घर लौटकर वह खाने का आसान नियम लागू करना चाहता है ताकि शरीर का खोया वजन फिर वापस न लौटे.

DW Mitarbeiterportrait | Mahesh Jha
महेश झा सीनियर एडिटर